बीकानेर । जिला प्रमुख सुशीला सींवर ने कहा है कि घटता लिंगानुपात आज समाज के सामने सबसे बड़ी चुनौती है और इस पर अंकुश के लिए बेटा-बेटी के बीच के फर्क को समाप्त करना होगा। जिला परिषद सभागार में बुधवार को बेटी बचाओ अभियान पर पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों की एक दिवसीय आमुखीकरण कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए सींवर ने कहा कि बेटियां आज किसी भी क्षेेत्रा में बेटों से पीछे नहीं हैं। लेकिन वे अपनी प्रतिभा का पूरा उपयोग तभी कर सकेंगी, जब उन्हें पढ़ने-लिखने के बराबर अवसर दिए जाएंगे।
जिला प्रमुख ने कहा कि आधी आबादी को उनके अधिकार देने के लिए समाज को अपनी मानसिकता बदलनी होगी और इसकी शुरूआत हमें अपने घर-परिवार से करनी होगी। महिलाओं को स्वयं आगे आकर अपनी बेटियों को पैदा होने देने का हक देना होगा। उन्होंने कहा कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों का आमजन से प्रत्यक्ष सम्बंध होता है और लोग जनप्रतिनिधियों की बात को अधिक तवज्जो देते हैं। ऐसे में कन्या भ्रूण हत्या पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए उन्हें अपने दायित्व निभाने होंगे।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीएल मेहरड़ा ने कहा कि मानव ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट कृति है और यदि पुरूष इस पर गर्व करता है तो उसे महिला को कमतर समझने की प्रवृति को छोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि आज मानव समाज के आधे हिस्से को बचाने के लिए बेटी बचाओ जैसे अभियान चलाने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सबकी यह सामूहिक जिम्मेदारी बनती है कि हम तार्किक आधार पर लोगों को समझाएं और स्वयं समाज के सामने ऐसे उदाहरण पेश करें जिससे ये संदेश जाए कि बेटी और बेटे में कोई फर्क नहीं है।
इस अवसर पर उपखंड अधिकारी बीकानेर और पीसीपीएनडीटी समिति के समुचित प्राधिकारी नमित मेहता ने कहा कि महिलाएं किसी के सहारे की मोहताज नहीं हैं, बस आवश्यकता इस बात की है कि उनसे अवसर न छीने जाएं। उन्होंने कहा कि यदि हम देश को सुपरपॉवर बनाने का सपना देखते हैं तो 50 प्रतिशत आबादी को पीछे छोड़ कर इस सपने को साकार नहीं किया जा सकता है। मेहता ने कहा कि बदलाव हो रहा है कि लेकिन इसकी गति धीमी है। उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या का संदेह होने पर कोई भी व्यक्ति टोल फ्री नम्बर 104 पर इसकी शिकायत कर सकता है। कार्यशाला में आए जनप्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए सहायक कलक्टर आलोक रंजन ने कहा कि निर्दोष कन्या भ्रूण की हत्या करना किसी भी जीव हत्या से बड़ा अपराध है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की केवल अमूर्त रूप देवी आदि के रूप में पूजा करने का तब तक कोई अर्थ नहीं है, जब तक हम महिलाओं को मूर्त रूप में सम्मान नहीं देते। उन्होंने कहा कि केवल बहू या बेटी न मिलने की चिंता कर बेटी बचाने से ज्यादा जरूरी एक महिला का महिला के रूप में व्यक्तित्व बचाना है।
इस मौके पर अतिरिक्त जिला कलक्टर (नगर) अजय कुमार पाराशर, पीसीपीएनडीटी के राज्य स्तर प्रकोष्ठ में प्रतिनिधि डॉ मीना आसोपा ने भी अपने विचार रखे। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी देवेन्द्र चौधरी ने राज्य में घटते लिंगानुपात पर चिंता जताते हुए वर्तमान स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डाला और पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रावधानों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 के आंकड़ों के अनुसार 1000 पुरूषों के पीछे राज्य में महिलाओं की संख्या 926 है, वहीं 6 वर्ष तक के बच्चों का लिंगानुपात 888 रह गया है । बीकानेर जिले में वर्ष 2001 के जनगणना के अनुसार लिंगानुपात 916 था जो 2011 की जनगणना में 908 रह गया है।
हो रही है नियमित मॉनिटरिंग
पीसीपीएनडीटी जिला समन्वयक महेन्द्र चारण ने बताया कि तकनीक का दुरूपयोग रोकने के लिए सोनोग्राफी सेंन्टर्स की नियमित रूप से मॉनिटरिंग की जा रही है। उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या सम्बंधी अपराध का संदेह होने की स्थिति में कोई भी व्यक्ति टोल फ्री नम्बर 104 पर शिकायत कर सकते हैं। शिकायत सही पाए जाने पर मुखबिर को एक लाख रूपये का इनाम दिया जाएगा और उसकी पहचान भी गुप्त रखी जाएगी। बैठक में विभिन्न न्यायिक अधिकारी, पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।