कांग्रेस के भीतर नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के खिलाफ वैसे ही लामबंदी होने लगी है जैसी कभी जम्मू-कश्मीर को लेकर धारा 370 के मामले में रही| कांग्रेस ने धारा 370 का विरोध किया था लेकिन देश में उभर कर आयी जनभावना को देखते हुए कार्यकारिणी की मीटिंग में ही कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी लाइन से अलग अपनी बात रखी| नागरिकता संशोधन कानून के विरोध को लेकर मुहिम जारी रखने पर कार्यकारिणी की मंजूरी भी मिल चुकी है| नागरिकता कानून को लेकर भी सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ जिन नेताओं ने अपनी बात रखी है उनमें जयराम रमेश के अलावा कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद भी हैं| ये तीनों की नेता कांग्रेस शासन में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं| कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद तो सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील भी हैं जो कांग्रेस और उसके नेताओं की कानूनी लड़ाई अब भी लड़ रहे हैं|कपिल सिब्बल कहते हैं – जब नागरिकता कानून संसद से पास हो चुका है तो कोई भी राज्य सरकार ये नहीं कह सकती है कि वो उसे लागू नहीं करेगी|

कांग्रेस के जिन तीन नेताओं ने पार्टी के नागरिकता संशोधन कानून विरोध पर अपनी राय जाहिर की है उनमें जयराम रमेश पहले भी नेतृत्व को आगाह कर चुके हैं| अगस्त, 2019 में जयराम रमेश के साथ साथ शशि थरूर और अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कांग्रेस नेतृत्व को सलाह दी थी कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खलनायक की तरह पेश करने से परहेज करे| तीनों नेताओं का मानना था कि हर बात पर विरोध करने से विरोध का कोई असर भी नहीं होता और आखिरकार वो बेमतलब समझा जाने लगता है|यह शायद पहली बार है जब विपक्षी राजनीतिक दल सच को झूठ की शक्ल देकर आम लोगों को गुमराह करने में जुटे हैं। यह तय है कि सच से अवगत होने पर लोग न केवल खुद को ठगा हुआ महसूस करेंगे, बल्कि अपने को बरगलाने वाले दलों को कोसेंगे भी। ग्रेस के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए लगता तो नहीं कि पार्टी में ऐसे नेताओं की राय को कोई अहमियत दी जाएगी – लेकिन इतना तो तय है कि तीन तलाक और धारा 370 के बाद नागरिकता कानून को लेकर कांग्रेस के विरोध का तेवर तीखा होने की जगह नरम पड़ सकता है|

 

अशोक भाटिया,

A /0 0 1 वेंचर अपार्टमेंट,

वसंत नगरी,वसई पूर्व ( जिला पालघर-401208)