– प्रतिष्ठित शिक्षाविदों ने प्राध्यापकों के साथ किया शैक्षणिक संवाद
हर्षित सैनी
रोहतक, 20 जनवरी। विश्वविद्याल में उत्कृष्ट शोध संस्कृति विकसित करने तथा नवाचार की परंपरा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से आज महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) में शैक्षणिक सभा (कानक्लेव) का आयोजन किया गया।
प्रतिष्ठित शिक्षाविदों नेशनल यूनिवर्सिटी लॉ यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली के कुलपति प्रो. रणबीर सिंह, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के एमीरेट्स प्रोफेसर एमीरेट्स, डा. गोपाल कृष्ण, आईआईटी दिल्ली के स्कूल ऑफ बायो लोजीकल साईंसेज के प्रो. चिन्मोय शंकर डे तथा मदवि की सेवानिवृत प्रोफेसर डा. रोहिणी अग्रवाल ने इस शैक्षणिक सभा में प्राध्यापकों के साथ शैक्षणिक संवाद किया।
एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि शैक्षणिक एवं शोध उत्कृष्टता को विश्वविद्यालय शैक्षणिक एवं शोध उत्कृष्टता को विश्वविद्यालय शैक्षणिक माहौल का अभिन्न अंग बनाना होगा। उन्होंने कहा कि इस नूतन पहल के जरिए प्रतिष्ठित शिक्षाविदों का मार्गदर्शन मदवि के प्राध्यापकों को प्राप्त हुआ। भविष्य में भी शोध गौष्ठियों के आयोजन की बात कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कही।

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली के कुलपति प्रो. रणबीर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठा गुणवत्तापरक शोध प्रकाशन से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि शोध की सामाजिक उपयोगिता होनी चाहिए। इस संबंध में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली में किए जा रहे शोध का उल्लेख उन्होंने किया।
कुलपति तथा प्रतिष्ठित विधि शिक्षक प्रो. रणबीर सिंह ने कहा कि कड़ी मेहनत तथा फोकस्ड एप्रोच से शोध तथा उच्च शिक्षा में ऊचाँईयों को छूआ जा सकता है। प्रो. रणबीर सिंह ने नॉलसार (हैदराबाद) तथा एलयूएलडी (दिल्ली) में शोध संस्कृति विकसित करने की स्ट्रैटीजी सांझा की।
पंजाब विश्वविद्यालय (चंडीगढ़)के प्रोफेसर ऐमीरेट्स डा. गोपाल कृष्ण का कहना था कि अच्छे शोधकर्त्ता में नवीनतम ज्ञान, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल, रिसर्च ऐथिक्स, तथा शोध की गरिमा का समावेश होना चाहिए। उनका कहना था कि शोध संस्कृति को बेहतर बनाने के लिए संस्थागत तथा व्यक्तिगत प्रयास करने होंगे।
आईआईटी (दिल्ली) के स्कूल आफॅ बायोलोजीकल साईंसेज के प्रोफेसर, शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार विजेता, डा. चिन्मोय शंकर डे ने कहा कि उत्कृष्ट तथा माननोपयोगी शोध के लिए लीक से हटकर सोचना होगा। उनका कहना था कि सृजनात्मकता उत्कृष्ट शोध का जरूरी अंग है। लुक साइड वेज की शोध अवधारणा का उल्लेख प्रो. डे ने किया।

हिन्दी साहित्य की प्रतिष्ठित समालोचिका तथा मदवि हिन्दी विभाग की सेवा निवृत प्रोफेसर डा. रोहिणी अग्रवाल ने कहा कि रचनात्मकता तथा श्रम से शोध की लंबी रेखा खींची जा सकती है। मौलिक शोध का अर्थ नई दृष्टि का विकास करना है। प्रो. रोहिणी ने कहा कि अपनी वैचारिक सीमाओं को लांघकर संवाद करना शोध है। उन्होंने फ्रैकफर्ट स्कूल आफ फिलासॉफी तथा यूनिवर्सिटी आफॅ सोरबोन (फ्रांस) की शोध पंरपरा का विशेष तौर पर उल्लेख किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में मदवि के शैक्षणिक मामलों की अधिष्ठाता प्रो. नीना सिंह ने इस शैक्षणिक सभा के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शोध संस्कृति की उत्कृष्टता विश्वविद्यालय के प्रगति का रास्ता प्रशस्त करता है। कार्यक्रम का संचालन प्रध्यापिका डा. दिव्या मल्हान ने किया। उन्होंने आभार प्रदर्शन भी किया।
कुलसचिव प्रो. गुलशन लाल तनेजा, कान्कलेव आयोजन समिति सदस्य प्रो. एएस मान, प्रो. पुष्पा दहिया, प्रो. राजकुमार, प्रो. नसीब सिंह गिल, प्रो. अनिल छिल्लर, लाइब्रेरियन डा. सतीश मलिक समेत विश्वविद्यालयों के शिक्षकों ने टैगोर सभागार में आयोजित इस शैक्षणिक सभा में भाग लिया।