न्यूज अर्लट

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=साइबर जालसाज डिटेल और ओटीपी नंबर पूछे बगैर ही कर रहे खातों में सैधमारी
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केस एक =शहर के कुशाल सिंह मेड़तिया से ना तो किसी ना बैंक खाते की डिटेल पूछी और ना ही ओटीपी नंबर आये फिर उनके बैंक खाते से नगदी साफ हो गई,पीडि़त ने बैंक शाखा में जाकर पता लगाया तो जानकारी मिली कि खाते से अब तक 25 हजार रूपये साइबर जालसाज उड़ा चुके है। पीडि़त ने इस संबंध में बीछवाल थाना पुलिस को रिपोर्ट दी है।
*केस दो*बज्जू के काश्तकार हरीराम पुत्र पतराम के एसबीआई बैंक खाते से भी 60 हजार रूपये साफ हो गये,उससे भी ना तो किसी ने खाते की डिटेल पूछी और ना ही ओटीपी नंबर फिर भी साइबर जालसाज ने खाते से नगदी साफ कर दी। हाईटेक अंदाज में खाते से नगदी पार होने की इस वारदात की खबर से लोगों की नींदे उड़ गई है।

बीकानेर साइबर जालसाजों ने अब सीधे बैंक खातों में सैंधमारी शुरू कर दी है। जालसाजों ने अब कोई ऐसा फंडा आजमाया है कि बैंक खातों की डिटेल और ओटीपी नंबर पूछे बगैर ही लोगों के खातों से नगदी उड़ा रहे है,ऐसे में अब बैंक खाते भी सुरक्षित नहीं रहे है। खातों में सैंधमारी की लगातार बढ रही वारदातों के कारण पुलिस के साईबर एक्सपर्ट भी हैरान है। चौंकाने वाली बात यह है कि ज्यादात्तर सैंधमारी एसबीआई के बैंक खातो ंसे हो रही है। पुलिस आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में बीते पखवाड़े भर अंतराल में इस तरह के दो दर्जन से ज्यादा मामले सामने आ चुके है,जिनमें खाताधारी से बैंक खाते की डिटेल और ओटीपी नंबर पूछे बगैर ही साइबर जालसाजों ने लाखों रूपये उड़ा लिये,इन जालसाजों से बीकानेर भी अछूता नहीं है,बीकानेर में भी बीते चौबीस घंटों के अंतराल में दो घटनाएं पुलिस में दर्ज हो चुकी है। खातों में हाईटेक अंदाज में हो रही सैंधमारी की इन घटनाओं में बैंक कर्मियों की भूमिका संदेह के दायरे में आने लगी है,साईबर एक्सपर्ट भी इसकी पुष्टी कर रहे है कि खातों की डिटेल और ओटीपी बैंकों से ही लीक हो रहे है,ऐसे में पुख्ता तौर माना जा रहा है कि साइबर जालसाजों के साथ बैंक कर्मी भी मिले हुए है।

नया फंडा ज्यादा घातक
साइबर जालसाजों का नया फंडा ज्यादा घातक है,इससे पहले ज्यादात्तर जालसाज फर्जी बैंक अधिकारी बनकर फोन करते हैं और झांसा देकर एटीएम के पासवर्ड व बैंक खाता संबंधी निजी जानकारी प्राप्त खातों से नगदी उड़ाते थे,लेकिन अब तो बैंक खाते की डिटेल और ओटीपी नंबर पूछे बगैर ही खाता साफ कर रहे है। ऐसे में देखा जाये तो अब किसी का भी बैंक खाता सुरक्षित नहीं है।
यह पुलिस की नाकामी का कारण
पुलिस के पास साइबर अपराध रोकने के लिए विशेषज्ञ अधिकारी नहीं हैं। इस कारण अपराधों का खुलासा नहीं हो रहा है। इसके अलावा ऐसे मामलों में पुलिस तह तक जाने का प्रयास ही नहीं कर रही। दबाव आने पर जरूर नाममात्र की कागजी कार्रवाई ली जाती है, इसके बाद फाइल बंद हो जाती है। या फिर अधरझूल में अटकी रहती है।

पीडि़ता का कहना है
साइबर जालसाली के शिकार हुए एक न्यूज पोर्टल के हैड कुशाल सिंह मेड़तिया का कहना है कि अब एसबीआई सरीखी प्रतिष्ठित बैंक खाते भी सुरक्षित नहीं रहे है,उन्होने बताया कि मेरे बैंक खाते से पिछले 16 फरवरी से अब तक करीब 25 सौ रुपये पार हो चुके है जबकि मेरे पास बैंक की कोई ओटीपी या मैसेज नहींआया है। इससे ये साफ जाहिर होता है बैंक में जिनके खाते है उसमें किसी साइबर एक्सपर्ट व्यक्ति नेएसबीआई के कम्प्यूटरों में सेंधमारी कर रखी है जो आये दिन अलग-अलग खातों से रुपये पार कर रहा है या कोई बैंक का कर्मचारी इसमें शामिल हो। बैंक खातों से रुपये निकलने अब आम बात हो गई है लेकिन मजे की बात है इतनी शिकायतों के बाद भी बैंक अपने ग्राहकों केखातों को सुरक्षित रहने की गारंटी नहीं दे सकता है।

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