raje-ramesh
raje-ramesh
राजे को लेकर बंटी भाजपा, कांग्रेस ने दी मॉनसून सत्र नहीं चलने देने की धमकी

जयपुर। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इण्डियन प्रीमियर क्रिकेट लीग (आईपीएल) के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी को आव्रजन में मदद करने तथा सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह की कंपनी को आर्थिक लाभ पहुंचाने के मामले को लेकर राज्य में भारतीय जनता पार्टी बंटी हुई दिखाई दे रही है।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी जरूर श्रीमती राजे के समर्थन में खुलकर आये हैं, लेकिन वरिष्ठ नेता एवं मंत्री इस मामले में टिप्पणी से बच रहे हैं। हालांकि गृह मंत्री गुलाब चन्द कटारिया से गुरूवार को जब मीडिया ने इस बारे में सवाल किये तो उन्होंने कहा कि वह ललित मोदी को नहीं जानते हैं तथा इस प्रकरण में उन्हें कुछ नहीं कहना। बाद में कटारिया ने इस मामले में कांग्रेस पर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया। राजे के खिलाफ बने माहौल को देखते हुए पार्टी के कुछ असंतुष्ट नेता भी सक्रिय हो गये हैं तथा केन्द्रीय नेताओं के संपर्क में हैं। प्रदेश की राजनीति में यह मामला गर्माने से अफवाहों का दौर भी शुरू हो गया तथा यह कहा जा रहा है कि पार्टी राजे के साथ नहीं है और मुख्यमंत्री को स्पष्टीकरण के लिए समय भी नहीं दिया जा रहा है।
एक निजी चैनल ने राजे के समर्थन में 30 विधायकों के दिल्ली कूच करने की खबर जारी करने से भी काफी हलचल हुई तथा मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार को इसका खण्डन करना पड़ा। उन्होंने इस बात का भी खण्डन किया है कि पार्टी अध्यक्ष से बात करने के लिए राजे ने समय मांगा और अमित शाह ने उन्हें समय देने से मना कर दिया। कुछ नेताओं का यह भी कहना है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के समर्थन में केन्द्र सरकार और पार्टी जिस तरह खुल कर सामने आई है, उस तरह श्रीमती राजे के पक्ष में कोई बड़ा नेता नहीं आया है। पार्टी के आलाकमान की चुप्पी को यहां आश्चर्य के रूप में और राजे के खिलाफ नाराजगी से जोड़ कर देखा जा रहा है। पार्टी के कुछ असंतुष्ट नेताओं को यह भरोसा है कि राजे के खिलाफ जरूर कदम उठाया जाएगा।
हालांकि पार्टी के नेताओं का यह भी मानना है कि राजे को फिलहाल कोई संकट नहीं है, क्योंकि बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी इस तरह का जोखिम नहीं लेना चाहेगी।
भाजपा के नेताओं का यह भी कहना है कि पिछली बार विवाद होने पर राजे ने ललित मोदी से किनारा कर लिया था, लेकिन राज्य की राजनीति में दोनों के संबंधों को लेकर अब भी संशय बना हुआ है। गत विधानसभा चुनाव के दौरान ललित मोदी ने राजे के करीबियों को पैसे देकर टिकट देने के आरोप लगा कर निशाना बनाया था।
जिस तरह से ललित मोदी को लेकर श्रीमती स्वराज और श्रीमती राजे विवाद में फंसी हैं, लिहाजा किसी स्पष्टीकरण में भी मोदी का नाम भी नहीं लेना चाहता।
पुर्तगाल की एक संस्थान जयपुर में अस्पताल बनाने के लिए करीब 35 हजार वर्ग मीटर जमीन आवंटन के मामले को भी ललित मोदी के साथ संबंधों से जोड़ कर देखा जा रहा है। यह वही संस्थान है जिसके अस्पताल में मोदी की पत्नी का उपचार हुआ बताते हैं। इस मामले में जब मीडिया ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र ङ्क्षसह राठौड़ से पूछा तो उन्होंने भी यह कहा कि वह किसी ललित मोदी को नहीं जानते हैं और अस्पताल के लिए जमीन का आवंटन चिकित्सकों की एक कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर किया गया है।

वहीं कांग्रेस ने भाजपा को घेरते हुए मांग की है कि सुषमा व वसुंधरा राजे को उनको पद से हटाया जाए। कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने धमकी भरे अंदाज मे कहा कि मॉनसून सत्र चलाना है तो इनको इस्तीफा देना होगा। प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें सारी जानकारी है और वे भी शामिल हैं। रमेश ने कहा कि विदेश मंत्री व राजस्थान के सीएम के ललित मोदी से गहरे संबंध थे।

कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर वादों से मुकरने का आरोप लगाते हुए गुरूवार को कहा कि यदि उसकी कथनी और करनी में फर्क नहीं है तो उसे राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को तुरंत इस्तीफा देने के लिए कहना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सी पी जोशी ने यहां पार्टी द्वारा बुलाए गए विशेष संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि श्रीमती राजे के पुत्र दुष्यंत राजे तथा ललित मोदी के बीच करोड़ों रूपए का लेनदेन हुआ है। पैसे का यह लेनदेन ललित मोदी के आनंदा हेरिटेज होटेल्स प्राइवेट लिमिटेड तथा वसुंधरा राजे परिवार के स्वामित्व वाले नियंत हेरिटेज होटेल्स प्राइवेट लिमटेड के बीच हुआ है। उन्होंने कहा कि कानून का भगोड़ा ललित मोदी स्वीकार कर चुका है कि उसके श्रीमती राजे और श्रीमती स्वराज से पारिवारिक संबंध हैं। उसने यह भी कहा है कि विधान सभा चुनाव में उसने श्रीमती राजे का खुलकर समर्थन किया था। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि नैतिकता के आधार पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को श्रीमती राजे को पद छोडऩे के लिए कहना चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस प्रकरण पर अपना मौन तोडऩा चाहिए। श्रीमती राजे यदि पद नहीं छोडती हैं तो इसका सीधा मतलब यह है कि भाजपा की कथनी और करनी में फर्क है।