-कोरोना रुपी हिरण्याकिशुप से बचाये, प्रभु से की प्रार्थना
( सच्चिदानंद पारीक)
कोलकाता. हर साल भव्य रुप में आयोजित होने वाले श्री नृरसिंह जयंती का उत्सव इस वर्ष कोरोना के संकट के चलते बुधवार को बहुत ही सूक्ष्म व प्रतीकात्मक तौर पर मनाया गया.सार्वजनिक तौर पर किसी तरह का कोई कार्यक्रम कोलकाता हो बीकानेर कहीं भी आयोजित नहीं हुआ. लोगों ने बहुत ही सीमित संख्या में उपस्थित रहकर महज इस उत्सव परम्परा का पालन किया. राजस्थान के बीकानेर शहर के जूनागढ़ इलाके मेंं लोक कलाकार श्रीगोपाल बिस्सा ने भगवान श्रीनृरसिंह रुप में तथा प्रशांत बिस्सा ने हिरण्याकिशुप के रुप में कोरोना रुपी राक्षस से सभी देशवासियों को बचाने की प्रभु से प्रार्थना की. राजस्थान के प्रख्यात गायक कलाकार सांवरमल रंगा (घोटा महाराज) ने बीकानेर स्थित भगवान श्री नृरसिंह के मंदिर में एकात्म रुप से भाव से भरे कर्णप्रिय भजन सुनाये. इधर, कोलकाता में सरकारी निर्देशों का पालन करते हुए।

राजाकटरा स्थित प्राचीन श्री नृरसिंह मंदिर में भी सूक्ष्म रुप से ही पूजन के साथ आरती का आयोजन हुआ. सेवायत पुजारी रवि, अभिषेक, चैंकी शर्मा ने भगवान की आरती की तथा उन्हें भोग लगाया. हर साल इसी मंदिर कमेटी के द्वारा आयोजित होने वाले मेले में नृरसिंह भगवान का रुप धारण करने वाले मनोज आचार्य ने कहा इस बार मेला आयोजित नहीं हुआ. इसलिए घर पर ही दौहित्र धैर्य पुरोहित को प्रह्लाद रुप में सजाकर खुद घर पर ही भगवान श्री नृरसिंहजी की पूजा की. कुछ इसी तरह, बांसतल्ला भैरव चौक में आयोजित होने वाला नृरसिंह जयंती उत्सव इस बार सार्वजनिक रुप से आयोजित न हो पाया. सिर्फ प्रतीकात्मक तौर पर ही श्री बलदेवजी मंदिर प्रांगण में कुछ एक साथियों ने मिलकर भगवान श्री नृसिंहजी की पूजा अर्चना की. संयोजक जगदीश हर्ष ने अशोक डागा, काकू डागा, रोहित हर्ष, दीपक हर्ष, धनराज बोहरा, गिरीराज हर्ष के साथ मिलकर सरकारी निर्देशों का पालन करते हुए पूजन कार्य में सहयोग प्रदान किया. नींबूतल्ला नरसिंह चतुदर्शी महोत्सव कमेटी के प्रमुख महेंद्र पुरोहित ने बताया कि लॉकडॉउन का पालन करते हुए ही बहुत ही छोटे रुप में पूजन का कार्यक्रम आयोजित हुआ. कुछ एक भक्तों ने मिलकर भगवान श्री नृसिंहजी का अभिषेक किया और इसी के साथ आरती व प्रसाद भोग अर्पण के बाद कार्यक्रम का समापन कर दिया गया. राजू चांडक, चांदरतन लाखोटिया, महेश हर्ष, राजकुमार लाखोटिया, विजय व्यास, सुशील व्यास ने पूजन व्यवस्था में सहयोग दिया. गणपत बागला रोड़ स्थित श्री आनंद भैरव देवस्थान कमेटी की ओर से इंद्र सादानी ने बताया कि मंदिर प्रांगण में ही कुछ एक साथियों को साथ लेकर जैसे-तैसे परम्परा निभाई गई।

नृरसिंह भगवान के मुखौटे का पूजन हुआ तो भगवान श्रीनृसिंहजी की आरती की गई. ढ़ाका पट्टी अखाड़ा वाली गली में वर्षों से आयोजित होने वाले श्री नृरसिंह जयंती आयोजन में मुख्य भूमिका निभाने वाले राजकुमार व्यास काकू ने कहा लॉकडॉउन के कारण उत्सव आयोजित नहीं हो पाया तो घर में ही प्रभु का पंचामृत के साथ अभिषेक और पूजन किया. पौत्र अंनत व्यास ने श्री नृरसिंह भगवान का रुप धरा. घर पर ही मेला सा वातारवरण सृजित किया गया. खंभे को फाड़कर निकलते भगवान श्री नृरसिंह के प्राक्ट्य रुप का दर्शन कर सभी मंत्र मुग्ध हो उठे. खुशी हुई कि की हम ऐसी परिस्थिति में भी अपनी परम्परा से विमुख नहीं हुए है. इधर, रामदेव बाल मंडल के संस्थापक जेठमल रंगा की देखरेख में भाई राजकुमार रंगा ने घर पर हीगोपाल पुरोहित, संजय रंगा, आकाश रंगा, उमेश माली, रिकी माली , राकेश दूबे, सोनू साव के साथ मिलकर भगवान श्री नृसिंहजी का पूजन, अभिषेक, आरती व श्रृंगार किया. इधर , लिलुआ में पत्रकार पी. शीतल हर्ष ने ब्रह्मबगीचा तथा कोलकाता में गीतकार रीतेश व्यास ने अपने घर में ही पूजा परम्परा निभाई. रीतेश व्यास के सुपुत्र रेयांश व्यास ने भगवान श्रीनृसिंह का रुप धर कर अपनी लोक परम्पराओं के प्रति उत्साह दिखाया तो वहीं पुष्करणा समाज के वरिष्ठ सदस्य आशाराम जी के सदस्यों ने भी अपने मकान की छत पर प्राचीन परम्परा का पालन किया. बच्चों ने भगवान श्री नृरसिंह और हिरण्याकिशुप का रुप धरा तो बड़ों ने भी की भगवान श्री नृसिंहजी की आरती. केदार उपाध्याय ने सेवा संदेश को बताया कि भले ही इस साल श्री नृसिंह जयंती का उत्सव धूमधाम से नहीं मनाया जा सका मगर सबने अपने निजी स्तर पर पूजा करते हुए भगवान श्री नृरसिंहजी से से यही प्रार्थना की कि
के वे जल्दी ही हम सब भारतवासियों को कोरोना रुपी राक्षस के कहर से बचाये ।

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