बीकानेर- ओम एक्सप्रेस

गुरु जम्भेश्वर भगवान सच्चे अर्थों में पर्यावरण के पुरोधा थे। उनके नियमों और वाणी पर चलकर यह संसार हर प्रकार की महामारी से बच सकता है। यह बात गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने ‘गुरु जम्भेश्वर पर्यावरण सरंक्षण शोधपीठ जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर और राष्ट्रीय जाम्भाणी साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित हुई 3 से 5 जून, 2020 को “वैश्विक पर्यावरण की वर्तमान चुनौतियां, जैव विविधता और श्री गुरु जम्भेश्वर जी के सिद्धांत एवं समाधान” विषय पर आयोजित त्रिदिवसीय विश्व पर्यावरण दिवस जाम्भाणी वेबीनार के समापन सत्र में अध्यक्षता करते हुए कही। वेबिनार का शुक्रवार को सफलतापूर्वक समापन किया गया। इस संगोष्ठी में देशभर और कई देशों से तीन हजार से अधिक विद्वानों, शोधकर्ताओं, वक्ताओं, कवियों और श्रोताओं ने भाग लिया।

जाम्भाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर के संस्थापक सदस्य पृथ्वीसिंह बैनीवाल बिश्नोई ने बताया कि वेबिनार के तीन दिनों मे अनेकों अतिथियों, वक्तों ने भाग लेकर संगोष्ठी के विषय पर विचार मंथन किया, जिसमें नोखा से विधायक बिहारीलाल बिश्नोई, पूर्व संसदीय सचिव राजस्थान लादूराम बिश्नोई, फलौदी से विधायक पब्बाराम बिश्नोई, लुणी से विधायक महेंद्र बिश्नोई, राजस्थान सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई, केन्द्रीय विश्वविद्यालय किशनगढ़ से प्रो. लक्ष्मी अय्यर, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय से प्रो. सरोज कौशल, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार से प्रो. मदन खीचड़, प्रो. राजेन्द्र पुरोहित बीकानेर, प्रो. कृष्ण कुमार कौशिक दिल्ली, डॉ. हेमू चौधरी, प्रो. दिनेश चहल केंद्रीय विश्वविद्यालय महेन्द्रगढ़ हरियाणा, डॉ. गजेन्द्रसिंह वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, आचार्य पीठ मुक्तिधाम मुकाम से आचार्य डॉ. गोवर्धन राम शिक्षाशास्त्री, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के गुरु जम्भेश्वर संरक्षण शोधपीठ से जेताराम बिश्नोई, आर के बिश्नोई, तकनीकी शिक्षा विभाग राजस्थान के निदेशक इंजीनियर दरियाव सिंह यादव, सिंगापुर से डॉ. सुमन कुमावत, डॉ. हेमसिंह गहलोत-सहायक आचार्य प्राणी शास्त्र जोधपुर विश्वविद्यालय, डॉ. प्रीति बिश्नोई, प्राचार्या श्री मोती मेमोरियल महाविद्यालय भावी, कानपुर विधायक सलील बिश्नोई, मुम्बई विश्वविद्यालय मुम्बई से प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से प्रो. अशोक सभ्रवाल, केरल के शंकराचार्य विश्वविद्यालय से डॉ. पी.एच. इब्राहिम कुट्टी, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, हिसार से प्रो. कृपाराम बिश्नोई, बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी से प्रो. बाबुराम, विभागाध्यक्ष हिन्दी जेएनयू जोधपुर से प्रो. कैलाश कौशल, अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरणविद ग्रीनमैन विजयपाल बघेल (हरितऋषि) गाजियाबाद, डूंगर महाविद्यालय से डॉ. श्याम सुन्दर जाणी, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रवीण चन्द त्रिवेदी कुलपति, अकादमी की संरक्षिका डॉ सरस्वती बिश्नोई, देहरादून से पद्मश्री प्रसिद्ध पर्यावरणविद डॉ. अनिल प्रकाश जोशी, नार्थ विश्वविद्यालय टैक्शास (यूएसए) से डॉ प्रो. पंकज जैन, मध्यप्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री रहे अजय बिश्नोई, केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान जोधपुर के निदेशक डॉ. ओ.पी. यादव , विज्ञान संकाय जोधपुर के अधिष्ठाता प्रो. अशोक पुरोहित, लंदन से डॉ. बीकू राठौड़, इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय दिल्ली से डॉ सुमित ढुकिया, किशनाराम बिश्नोई विधायक लोहावट (जोधपुर), महामहौपाध्याय डॉ. वेद प्रकाश आचार्य बिश्नोई पूर्व कुलपति गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार, प्रो. ब्रजेश कुमार दुबे आईआईटी खड़गपुर, फ्रांस से फ्रैंक वोगल, दुबई से आर.के बिश्नोई, राजस्थान सरकार में पूर्व मंत्री और सांसद जसवंतसिंह बिश्नोई, गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार, निदेशक शुष्क वन अनुसंधान संस्थान, जोधपुर से डॉ. एम. आर बालोच, अकादमी के महासचिव सुरेंद्र खीचड़, उत्तर कोरिया से मनसंग चुंग, सेवानिवृत्त आरएएस बी.आर. डेलू, संदीप धारणिया, मोहनलाल लोहमरोड आदि ने भाग लेकर वेबिनार के विषयों पर गहन विचार मंथन कर चर्चा की।

04 जून की सांय को कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया जिसमें प्रो. कैलाशनाथ उपाध्याय, साहित्यकार डॉ. आईदानसिंह भाटी, डॉ. कृष्णलाल बिश्नोई, रामस्वरूप जंवर, अकादमी के प्रवक्ता विनोद जम्भदास, गुरु जम्भेश्वर सेवक दल के महासचिव रंगलाल बिश्नोई, सुरेन्द्र सुन्दरम्, मांगीलाल अग्रवाल, बंसीलाल ढ़ाका, कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल बिश्नोई कवि, जयकिशन खिलेरी, डॉ. संतोष बिश्नोई, मा. उदाराम खिलेरी, डॉ. बंसीलाल दर्जी, रामनिवास बागड़िया, डॉ. हरिराम बिश्नोई बीकानेर, अशोक बिश्नोई, भागाराम लोल, शंकरलाल बिश्नोई, लीलाधर सोनी, राजेन्द्र स्वर्णकार, छोगाराम बांगड़वा और चन्द्रभान बिश्नोई आदि ने भाग लिया।

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