फिल्म रोटी, कपड़ा ,और मकान का यह गाना हाय हाय यह मजबूरी यह मौसम और यह दूरी खास करके सावन के महीने में कौन सा जमादिल इस गाने को नहीं गुनगुनाता ,खासकर इस गाने में दर्शाया गया है कि जब सावन का महीना और उसमें टपकती पानी की बूंदे अपने प्रेमी की याद में प्रेमिका को यह गाना गाने पर मजबूर करती है।और सावन के महीने में अपने प्रेमी की याद उसे सताती दरअसल इस गाने को मैं इसलिए केंद्रित कर रहा हूं ,कि हर मौसम में किसी ने किसी चीज का वजूद रहता है ।और अभी जो मौसम चल रहा है वह है, गर्मी और उमस की मार, इस मौसम में भी लोग बिजली के गुल होने पर करवटें बदल बदल कर यही गाना गाते हैं।
हाय हाय यह मजबूरी यह उमस और बिजली विभाग की दूरी ,दरअसल इन दिनों केकड़ी क्षेत्र में बिजली विभाग के कारिंदो की बेरुखी लोगों को परेशान होने पर मजबूर करती जा रही है।ऐसी तो गर्मी दूसरी तरफ उमस और तीसरी तरफ बारिश की टपकती हुई बूंदे, और ऐसे में घरों की गूल होती बिजली, इन दिनों केकड़ी क्षेत्र में विद्युत विभाग की लापरवाही से आम लोगों को इस कदर परेशान होना पड़ रहा है जिसकी कोई हद नहीं ।बिजली की आंख मिचौली दिन भर अपना खेल खेलती है। और इस खेल में घरों में रहने वाले लोगों के साथ साथ दुकानों पर कार्य करने वाले लोगों पर आर्थिक मार भी पढ़ रही है। एक तरफ तो करीब 2 माह से लॉक डाउन का दंश झेल कर जैसे तैसे करके अपने घर का गुजारा चलाने वाले दुकानदार, अपनी दुकानों पर ग्राहकों का इंतजार करते हैं। और जब ईश्वर उनके पास कुछ रोजी-रोटी का साधन भेजता है तो इन बिजली विभाग के विभिन्न प्रजाति के लोग इन लोगों का वह रोजगार भी छीन लेती है। बार-बार बिजली की ट्रिपिंग से दुकानदार भी अब परेशान हो चुके है। आखिर कब तक बिजली विभाग अपनी कार्य शैली पर पर्दा डालते हुए लोगों के साथ आंख मिचोली खेलेगा।
दरअसल ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बिजली कटौती वह आए दिन होने वाली परेशानी से निजात देने के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने बघेरा जीएसएस फीडर का निर्माण किया ।ताकि लोगों को बिजली की समस्या से निजात मिल सके ।लेकिन यह राहत ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए अब आहत बन चुकी है। इस फीडर के निर्माण के बाद ग्रामीण क्षेत्र के लोग सुखी नहीं है ,बल्कि आए दिन उनको इस भीषण गर्मी में रात भर गांव की गलियों में भटकना पड़ रहा है ।पहले वाले कालेड़ा फीडर से यह लाइन जुड़ी हुई थी जिसमें बघेरा देवगांव नयागांव देवलिया कनोज सहित अन्य कई गांव जुड़े हुए थे ।लेकिन पहले जितनी समस्याएं नहीं आती थी उससे कई गुना ज्यादा अब समस्याएं उत्पन्न होने लगी है ।आम लोगों को यह कहा गया था इस फीडर के निर्माण के बाद ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए बिजली संबंधी समस्या से निजात मिलेगी, लेकिन अब समस्याओं ने और विकराल रूप धारण कर लिया बारिश की दो बूंद टपकते ही ग्रामीण क्षेत्र में बिजली का बंद होना आम बात हो गई ।ना तो यहां लाइट आने का पता है और ना ही जाने का यहां तक की 1 घंटे में करीब 5 बार लाइट का जाना आम बात है। रात रात भर भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को राहत की सांस नहीं है ।आखिर ऐसी राहत ही क्यों दी गई जो लोगों के लिए आहत बन गई यह एक बड़ा सवाल?
मरने के बाद स्वर्ग में जाएंगे या नर्क में जाएंगे यह तो अपने पाप और पुण्य के परिणाम बताएंगे लेकिन वर्तमान में तो सभी लोग नर्क की आग में चल रहे हैं इस भीषण गर्मी और उमस की तपन नर्क की आग से कम नहीं है आखिर बिजली विभाग क्यों आम लोगों को नर्क की आग में धकेल कर खुश है आखिर हमसे क्या भूल हुई जो यह सजा हमको मिली?
– यह फाल्ट बड़ा बेदर्दी है रात दिन सताए
बार-बार बिजली गुल होने पर हालांकि विद्युत विभाग द्वारा फोन तक नहीं उठाया जाता लेकिन जब उठाया जाता है तो सिर्फ एक ही जवाब मिलता है भाई साहब फाल्ट है जब 4 महीने से बिजली विभाग द्वारा आवश्यक रखरखाव व मरम्मत के नाम पर आए दिन बिजली कटौती की जा रही है तो फिर यह खामियां अभी तक क्यों दुरस्त नहीं की गई बिजली विभाग को चाहिए कि आमजन की इस भयंकर समस्या को अपनी समस्या समझ कर आम लोगों को निजात दिलाए।