

राष्ट्रीय जाम्भाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर के. तत्वावधान और देखरेख में आयोजित पाँच दिवसीय जाम्भाणी काव्योत्सव के पांचवे और अंतिम दिन ऑनलाईन सदगुरु देव जम्भेश्वर भगवान का विशाल जागरण अति सफल रहा है। यह जागरण जाम्भाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर द्वारा आयोजित- प्रायोजित पाँच दिवसीय काव्योत्सव के पाँचवें दिन रखा गया।
यह जानकारी देते हुए अकादमी के प्रैस संयोजक पृथ्वीसिंह बैनीवाल बिश्नोई ने बताया कि जागरण राष्ट्रीय जाम्भाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर के अध्यक्ष आचार्य श्री कृष्णा नन्द जी के आशीर्वचन से शुरू हुआ और अकादमी के कोषाध्यक्ष श्री आर.के. बिश्नोई दुबई के आभार पर समाप्त।


बहुत से भक्त श्रोताओं ने कहा है कि शिरोमणी बिश्नोई पंथ के भक्त जाम्भाणी कवि और वयोवृद्ध गायक श्री रामकरण जी पुनिया को पहली बार देखा, सुना है। उन्होंने यह भी सदगुरु श्री जम्भेश्वर भगवान से प्रार्थना की कि वयोवृद्ध गायक श्री रामकरण जी पुनिया को सुख, स्वास्थ्य और लम्बी आयु प्रदान करें।
आचार्य सचिदानंद जी द्वारा आरती और भजन से जागरण का आरम्भ हुआ तथा निरन्तर अन्य गायकों सर्वश्री रामस्वरुप, सहीराम जी खीचड़, हनुमानजी धायल द्वारा साखियों और, आरतियों का गायन सुनकर सभी संत-भक्त श्रोतागण मंत्र मुग्ध होगये।
रामकिशन जी डेलू नोखा, चंडीगढ़ से बहन श्रीमती शीला गहलावत ‘सीरत’, भारमल जी गिरदावर, पेमा रामजी मास्टर, आत्माराम
जी बावरा-रोहिला, बंशीधर जी पूनियां, सुखेन्द्रजी लटियाल, बनवारीलालजी ईशरवाल एडवोकेट, संत राजू जी महाराज, इत्यादि ने बहुत मनमोहक भजन, आरतीयां, साखीयां गाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।


पाँच दिवसीय जाम्भाणी काव्योत्सव के सफल आयोजन तकनीकी संयोजक डॉ लालचंद जी और सह संयोजक विकास बैनीवाल जिन्होंने इस अंतर्जाल (इंटरनेट) को संभाला और चलाये रखा का श्री आर.के. बिश्नोई ने हार्दिक आभार किया। उन्होंने सदगुरु देव श्री जम्भेश्वर भगवान के महानिर्वाण स्थल लालासर साथरी से उपस्थित आचार्य श्री सच्चिदानंदजी से निवेदन किया कि जाम्भाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर की ओर से सुरम्य जाम्भाणी संगीत को बढ़ावा देने के लिये, ऐसे संगीत रत्नों मोतियों को खोज खोज कर निरंतर बढ़ावा दें तथा संत-भक्तगणों और आम लोग आध्यात्मिक लाभ उठा सकें। ऐसे महान गायकों को तराशें एवं उनका मार्गदर्शन करें ताकि गुरु जाम्भोजी द्वारा शुरू जम्मे जागरण का यह संस्कार नित्य निर्बाधगति से चलता रहे, गुरु जाम्भोजी और उनकी सात्विक शिक्षाओं का प्रचार इस विद्या के माध्यम से और भी तेजी से होता रहे। इससे कुछ गायकों की हॉबी पूरी होगी, कुछ की साधना, कुछ को रोजगार मिलेगा यानि सभी को फायदा होगा, आचरण प्रधान शिरोमणी
बिश्नोई पंथ का प्रचार होगा, लोगो में श्रद्धा बनी और बढ़ती रहेगी तथ नव जागृति आएगी, नव-प्रभात उदय होगा। आर. के. बिश्नोई ने सुनने देखने वाले देश विदेश के श्रोताओं का भी आभार व्यक्त किया।
पाँच दिवसीय जाम्भाणी काव्योत्सव के संयोजक डॉ कृष्णलालजी देहड़ू बिश्नोई ने विस्तार से जम्मे जागरण का इतिहास और महत्व बताया। उल्लेखनीय है डॉ. कृष्णलाल बिश्नोई बिश्नोई इतिहास के पीएचडी की हुई है। कहते हैं जहाँ तक जागरण की पुकार और जयकारों का स्वर जाता है, वहाँ तक पाप, ताप और संताप नष्ट हो जाते हैं।
