-: आर्थिक तंगी के बीच आनलाईन स्टडी के जरीए जला रहे है शिक्षा की अलख
-: शिक्षण संस्थानों ने फीस नहीं मिलने का बहाना बनाकर वेतन देने से झाड़ा पल्ला
हर्षित सैनी
रोहतक, 25 जून। अखिल भारतीय साक्षरता संघ के मोटिवेशनल स्पीकर व राष्ट्रीय प्रवक्ता भगवत कौशिक ने कहा है कि आज पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, जिसके कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। उद्योग धंधे बंद हो गए हैं तथा देश की आर्थिक स्थिति पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है।
उनका कहना था कि स्कूल, कालेज सहित सभी शिक्षण संस्थान मार्च महीने से बंद हैं तथा मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस वर्ष इनके खुलने की संभावना न के बराबर ही है। ऐसे में अभिभावकों ने निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले अपने बच्चों की फीस आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाला देकर देने से मना कर दिया।

भगवत कौशिक ने कहा कि अभिभावकों व निजी शिक्षण संस्थानों मे फीस को लेकर छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है और मामला अदालत में विचाराधीन है। इस बीच सबसे ज्यादा प्रभावित निजी शिक्षण संस्थानों में काम करने वाले अध्यापक, क्लर्क, चपरासी, ड्राइवर, हैल्पर, माली सहित अन्य कर्मचारी हुए हैं। शिक्षण संस्थानों ने फीस ना मिलने का बहाना बना कर इन कर्मचारियों को वेतन देने से मना कर दिया।
आपको बता दें कि हरियाणा में हजारों शिक्षण संस्थानों में लाखों कर्मचारी दिन-रात मेहनत कर मामूली सैलरी पर कार्य करके शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। इन कर्मचारियों से 8-10 घंटे कार्य करवा कर वेतन के नाम पर इनका शोषण किया जा रहा है। आज इस कोरोना रूपी संकट में भी आनलाईन स्टडी द्वारा ये शिक्षा सारथी शिक्षा की अलख जगाए हुए हैं लेकिन वेतन मांगने पर शिक्षण संस्थानों द्वारा अभिभावकों से फीस ना मिलने का रटा रटाया जवाब दे दिया जाता हैं। ऐसे में प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
अखिल भारतीय साक्षरता संघ के मोटिवेशनल स्पीकर व राष्ट्रीय प्रवक्ताके अनुसार लॉकडाऊन में ऐसा कोई वर्ग नहीं है, जो मुफ्त सेवा दे रहा हो। क्या डॉक्टर मुफ्त दवाई दे रहे हैं? क्या मिस्त्री मुफ्त में काम कर रहे हैं? क्या सरकारी कर्मचारी तनख्वाह नहीं ले रहे? क्या बैंकों ने ब्याज या लोन माफ किया? क्या जमींदारों ने अपनी फसल गरीबों को बांट दी? कोई दुकानदार 51 रुपये का रिचार्ज 50 में भी करने को तैयार नहीं है।

उनका कहना था कि मेडिकल, मोबाइल, करियाना, फर्नीचर, दर्जी, गारमेंट कहीं कुछ मुफ्त नहीं है। कुछ भी सस्ता नहीं है। सरकार ने मास्क तक मुफ्त नहीं दिए लेकिन फिर भी निजी शिक्षण संस्थानों का स्टाफ वेतन मिलने की आस व बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो, इसी उद्देश्य के मद्देनजर आनलाइन स्टडी के जरिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में निजी शिक्षण संस्थानों का नैतिक कर्तव्य बनता है कि इस संकट के समय मे अपने सभी कर्मचारियों का ध्यान रखें ताकि इनके घर चूल्हा जलता रहे व इनको आर्थिक संकट का सामना ना करना पड़े।
राष्ट्रीय प्रवक्ता भगवत कौशिक ने कहा कि सरकार को भी ऐसी पालिसी बनाने की जरूरत है, जिससे निजी संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों का शोषण ना हो व उनको अपनी योग्यता व कार्य के हिसाब से वेतन मिल सके। तभी शिक्षा व शैक्षिक क्षैत्र से जुड़े कर्मचारियों का विकास हो सकेगा। टीचर हमारे बच्चों के लिए सालों से मेहनत करते आए हैं। उनका मेहनताना जरूर देना चाहिए, चाहे थोड़ा थोड़ा करके दें।