– साहित्यकार संस्कर्ता की जयंती पर ‘सरोकार’ का वेबनार आयोजित

ओम एक्सप्रेस-लूणकरणसर,21 जुलाई।
नानूराम संस्कर्ता राजस्थानी भाषा के पुरोधा रचनाकार थे जिन्होंने ग्रामीण जीवन की संवेदना और सरोकारों को अपनी रचनाओं के माध्यम से व्यक्त किया है। यह विचार शिक्षाविद और योगाचार्य शिवराज संस्कर्ता ने व्यक्त किए।

वे मंगलवार को साहित्य महोपाध्याय नानूराम संस्कर्ता की जयंती पर ‘सरोकार’ संस्थान की ओर से आयोजित वेबनार गोष्टी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नानूराम संस्कर्ता ने राजस्थानी में पद्य विधाओं में 11 पुस्तकों की रचना की जो विषय व शिल्प की दृष्टि से विविधता पूर्ण है। उनकी ‘कळायण’ काव्य कृति प्रकृति पर केंद्रित है तो गीत माला में अध्यात्म और दर्शन की झांकी है। वेबनार में उपस्थित साहित्यकार डॉ. नीरज दइया, मदनगोपाल लढ़ा और राजूराम बिजारणियां ने कहा कि संस्कर्ता की लंकाण धणी, दस देव, दस दात आदि काव्य कृतियां लोक जीवन की विविध छवियों को प्रस्तुत करती है। शिवराज संस्कर्ता ने इस दौरान नानूराम संस्कर्ता की कई कविताओं का सस्वर पाठ किया।

सरोकार संस्थान के पेज पर आयोजित इस लाइव इस श्रंखला में देशभर के सैंकड़ों से अधिक साहित्य प्रेमियों ने शिरकत की और नानूराम संस्कर्ता के साहित्यिक अवदान का स्मरण किया। वेबनार में रामजीलाल घोड़ेला, छैलू चारण ‘छैल’, के. याहू, सहित बड़ी संख्या में साहित्यकारों ने भी अपनी सम्मतियां दर्ज की। कार्यक्रम के अंत में साहित्यकार संस्कर्ता को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।