– राज्यपाल की तानाशाही और सरकार की अय्याशी पर अब लगाम लगना ही चाहिए

ओम एक्सप्रेस -महेश झालानी

जयपुर।लगता है कांग्रेस के कुछ नेता अशोक गहलोत को शहीद करने पर आमादा है । इन नेताओं की हरकत और बयानबाजी के कारण जीती बाजी भी हारनी पड़ रही है । स्थिति तो अब राज्यपाल को मानसिक बीमार कहने की भी आगई है । वह दिन भी दूर नही जब लोग आपस मे गधा, उल्लू का पट्ठा और गंवार कहकर अपनी भड़ास निकालेंगे ।

कांग्रेसियों का इस समय खिसियाना और राज्यपाल को गरियाना पूरी तरह वाजिब है । क्योंकि कलराज मिश्र राज्यपाल के पद के निर्वहन से ज्यादा अपनी पार्टी के नेताओ को खुश करने में ज्यादा सक्रिय है । यह इनका धर्म है । राज्यपाल की नियुक्ति संविधान की रक्षा के लिए नही, पार्टी नेतृत्व की जी हजूरी करने हेतु होती है ।

जो कार्य पिछले 60 साल में नही हुआ, वह 6 साल में पूरा होने जा रहा है । कांग्रेसी राज्यपालों ने भी राजभवनों को राजनीति का अखाड़ा बनाया था । उसी नक्शे कदम पर भाजपा के पे रोल वाले लोग लोकतंत्र व संविधान का सरेआम बलात्कार कर रहे है । नियम और कायदे-कानून की सार्वजनिक रूप से होली जलाई जा रही है ।

पूरे देश की निगाह आज राजभवन पर टिकी हुई है कि कैसे एक व्यक्ति अपने आकाओं के इशारे पर बेशर्मी के साथ संवैधानिक मान्यताओं की अंतिम यात्रा निकाल रहा है । जिंदगी भर सत्ता का मजा लूटने वाले व्यक्ति को खौफ है कि उसके गले मे कहीँ आडवाणी की तरह माला नही पहना दी जाए । सत्त्ता और कुर्सी का नशा ठर्रे से भी बुरा होता है । ठर्रे पीने के बाद व्यक्ति नाली में गिरता है तो सत्त्ता का नशा चखने के बाद व्यक्ति नाली में ना केवल गिरता है बल्कि कीचड़ को चाटने भी लगता है ।

राजभवन द्वारा कानून के साथ खिलवाड़ करना लोगो का पुराना शौक है । राजभवन जनता के पैसो से अय्याशी करने का चारागाह है । शपथ दिलाने, विधानसभा का सत्र बुलाने के अलावा राज्यपाल के पास ऐश करने के अलावा काम क्या है ? कुछ कुलपतियों की नियुक्ति करनी होती है । कैसे नियुक्ति होती है, इसके बारे में कल्याण सिंह बेहतर बता सकते है ।

माना कि कांग्रेस पार्टी ने राजभवन में धरना व नारेबाजी कर संवैधानिक मूल्यों को खंडित किया । लेकिन कलराज मिश्र तो पूरी तरह संविधान की निर्मम हत्या करने पर आमादा है । राज्यपाल को संविधान के अनुसार कार्य करना होता है । ना कि नागपुर के संविधान के अनुरूप है । कलराज को अब यह नही भूलना चाहिए कि वे बीजेपी के कार्यकर्ता नही, एक प्रदेश के संवैधानिक मुखिया है । इसके नाते जनता के करोड़ो रूपये इनके ऐश-आराम पर हर साल फूंके जाते है । कलराज मिश्र अपने पद का सही निर्वहन करने में अपने को असक्षम पाते है तो इन्हें नेकर पहन कर लौट जाना नागपुर ।

कलराज मिश्र भले ही दस्तखत नही करके बहुत इतरा रहे होंगे । लेकिन कितने दिन केंद्र की झूठन चाटते रहेंगे ? पद पर रहते हुए व्यक्ति को बहुत घमंड हो जाता है । यह स्वाभाविक भी है । लेकिन पद से हटने के बाद व्यक्ति की कैसे मिट्टी पलीद होती है, इस बारे में आडवाणी या मुरली मनोहर जोशी से पूछा जा सकता है । कलराज मिश्र का हश्र तो इससे भी बुरा होगा । जब यूपी लौटेंगे तो कोई नमस्कार करने वाला भी नही होगा । ज्यादा खलनायकी घातक साबित होती है ।

कांग्रेसियों ने तो प्रदेश का कबाड़ा कर ही रखा है । कलराज मिश्र को ऐसा नही करना चाहिए । लुका छिपी का खेल उचित नही है । या तो वे मर्दानगी के साथ राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश करें । अथवा लुका छिपी के बजाय वे विधानसभा का सत्र बुलाने की इजाजत दे । राजभवन को केवल राजभवन ही रहने दे । भाजपा का कार्यालय नही । कलराज मिश्र की हठधर्मिता और कांग्रेस की बाड़ेबंदी के कारण प्रदेश में प्रशासन को पूरी तरह लकवा मार चुका है । बेहतर है कि राज्यपाल पूर्वाग्रह छोड़कर सत्र की इजाजत दे । वरना प्रदेश के हालत और ज्यादा दयनीय हो जाएंगे ।

कांग्रेसियों को भी चाहिए कि वे अपनी मर्यादा में रहे । इनके उकसाऊ और वाहियात बयानों की वजह से हालत आज बेकाबू होते जा रहे है । अपने ऊपर नही तो प्रदेश की जनता पर तो रहम खाना चाहिए । कोरोना रोज खतरनाक तरीके से आक्रमण करने को आमादा है । कामकाज ठप्प पड़े है । सचिवालय के गलियारे सूने है । लोग अपने कार्य के लिए भटक रहे है । और सरकार ! पांच सितारा होटल में योयो हनीसिंह के गानों पर रेप कर रही है ।