– राष्ट्रपति कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी सहित पक्ष विपक्ष के नेताओं की श्रद्धाँजलि, आज दिल्ली में 2.30 बजे अंतिम संस्कार

नई दिल्ली। भारत रत्नऔर देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का84 वर्ष की उम्र में सोमवार को निधन हो गया था.वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे.दिल्ली के आर्मी अस्पताल में उन्होंने अंतिमसांस ली. केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के सम्मान 7 दिवसीय राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. उनका मंगलवार को दिल्लीमें दोपहर 2.30 बजे लोधी श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रणब मुखर्जी के निधन पर दुख व्यक्त किया.पीएम मोदी ने लिखा कि प्रणब मुखर्जी केनिधन पर पूरा देश दुखी है, वह एक स्टेट्समैन थे. जिन्होंने राजनीतिक क्षेत्रऔर सामाजिक क्षेत्र के हर तबके की सेवा की है. पीएम मोदी के अलावा कई अन्य नेताओं ने भी पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक व्यक्त किया.प्रणब मुखर्जी के निधन पर बंगाल की ममता सरकार ने भी 1 सितंबर कोराज्य में शोक घोषित किया है. सभी सरकारी दतर बंद रहेंगे. राज्य पुलिस दिवस समारोह भी 2 सितंबर के लिए स्थगित कर दिया गया है. बता दें कि प्रणबमुखर्जी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे औरउनकी हाल ही में ब्रेन सर्जरी भी की गई थी. प्रणब मुखर्जी को खराब स्वास्थ्य केकारण 10 अगस्त को दिल्ली के क्रक्रअस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकेमस्तिष्क में खून का थक्का जमने के बादसर्जरी की गई थी, उसी वक्त उनके कोरोनापॉजिटिव होने की जानकारी मिली थी.

देश की सबसे कद्दावरहस्तियों मेंवे देश की सबसे कद्दावर राजनीतिक हस्तियों में से एक थे. उनके राजनीतिक जीवन में दो बार ऐसे मौके आए जब वे प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए. सत्तर के दशक में सियासत में कदम रखने वाले प्रणब मुखर्जी केंद्र में वित्त,रक्षा, विदेश जैसे अहम मंत्रालयों की जि-मेदारी संभालने के बाद जुलाई 2012से जुलाई 2017 तक भारत के राष्ट्रपति रहे. मोदी सरकार ने देश के लिए उनके योगदान को सम्मान देते हुए उन्हें भारत रत्नकी उपाधि से विभूषित किया. प्रणब दाकांग्रेस के दिग्गज नेता थे. इसके बावजूद मोदी सरकार द्वारा उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए चुना जानाबताता है कि उनकी शख्सियत और कद पार्टी या विचारधारा से कितना ऊपर था.

इंदिरा गांधी कैबिनेट में वित्त मंत्रीप्रणब मुखर्जी ने 1969 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उंगली पकड़कर राजनीति में एंट्री ली थी. वे कांग्रेस टिकट पर राज्यसभा के लिए चुने गए. 1973 मेंवे केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिए गए और उन्हें औद्योगिक विकास विभाग में उपमंत्री की जिम्मेदारी दी गई. इसके बादवह 1975, 1981, 1993, 1999 में फिर राज्यसभा के लिए चुने गए. उनकीआत्मकथा में स्पष्ट है कि वो इंदिरा गांधी के बेहद करीब थे और जब आपातकाल के बाद कांग्रेस की हार हुई तब इंदिरा गांधी के सबसे विश्वस्त सहयोगी बनकर उभरे थे. 1980 में वे राज्यसभा में कांग्रेस केनेता बनाए गए. इस दौरान मुखर्जी को सबसे शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री माना जानेलगा. प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में वे ही कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करते थे. प्रणब मुखर्जी इंदिरा गांधी की कैबिनेटमें वित्त मंत्री थे. 1984 में यूरोमनी मैगजीन ने प्रणब मुखर्जी को दुनिया के सबसे बेहतरीन वित्त मंत्री के तौर परसम्मानित किया था.

इंदिरा की मौत के बाद थे पीएम के दावेदार साल 1984 में इंदिरा गांधी कीहत्या के बाद प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था. वे पीएम बनने की इच्छा भी रखते थे,लेकिन कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने प्रणब को किनारे करके राजीव गांधी को प्रधानमंत्री चुन लिया. इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो राजीव गांधी और प्रणब मुखर्जी बंगाल के दौरे पर थे, वे एक ही साथविमान से आनन-फानन में दिल्ली लौटे.प्रणब मुखर्जी का ख्याल था कि वे कैबिनेट के सबसे सीनियर सदस्य हैं इसलिए उन्हें कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन राजीव गांधी के रिश्ते केभाई अरुण नेहरू ने ऐसा नहीं होने दिया.

उन्होंने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनानेका दांव चल दिया. पीएम बनने के बादराजीव गांधी ने जब अपनी कैबिनेट बनाईतो उसमें जगदीश टाइटलर, अंबिका सोनी,अरुण नेहरू और अरुण सिंह जैसे युवाचेहरे थे, लेकिन इंदिरा गांधी की कैबिनेटमें नंबर-2 रहे प्रणब मुखर्जी को मंत्री नहीं बनाया गया था. राजीव कैबिनेट में जगहनहीं मिलने से दुखी होकर प्रणब मुखर्जी नेकांग्रेस छोड़ दी और अपनी अलग पार्टीबनाई. प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया, लेकिन येपार्टी कोई खास असर नहीं दिखा सकी.जब तक राजीव गांधी सत्ता में रहे प्रणब मुखर्जी राजनीतिक वनवास में ही रहे.

इसके बाद 1989 में राजीव गांधी सेविवाद का निपटारा होने के बाद उन्होंनेअपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया. साल 2004 में कांग्रेस की सत्ता मेंवापसी हुई. 2004 में सोनिया गांधी केविदेशी मूल का मुद्दा उठा तो उन्होंने ऐलान किया कि वे प्रधानमंत्री नहीं बनेंगी. एक बार फिर से प्रणब मुखर्जी के प्रधानमंत्री बनने की चर्चाएं तेज हो गईं, लेकिन सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को पीएमबनाने का फैसला किया. इससे प्रणबमुखर्जी के हाथ से पीएम बनने का मौका एक बार फिर निकल गया।

राहुल गांधी ने जताई शोक संवेदना कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रणब मुखर्जी के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि मैं पूरे देश के साथ शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं। इस दुख की घड़ी मेंउनके परिवार और चाहने वालों के प्रतिमेरी गहरी संवेदना है।राष्ट्र ने एक महान नेता, विचारकऔर राजनेता को खो दिया राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोकगहलोत ने शोक जताते हुए कहा कि पूर्वराष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन से राष्ट्र ने एक महान नेता, विचारक और राजनेताको खो दिया है। उनका पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित था।

97 फीसदी दया याचिकाएं खारिज की थीं प्रणब मुखर्जी को उनकी विद्वताऔर शालीन व्यक्तित्व के लिए याद किया जाएगा, लेकिन कठोर फैसले लेने से भी उन्होंने कभी गुरेज नहीं किया. राष्ट्रपति केरूप में उनके कार्यकाल की अहम बात ये थी कि उन्होंने दया याचिकाओं को लेकर भरपूर सख्ती अपनाई. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 97 फीसदी दया याचिकाएं खारिज की थीं. प्रणब मुखर्जी से ज्यादा दया याचिकाएं सिर्फ आर वेंकटरमण ने हीखारिज की थीं।