बीकानेर । राजस्थानी के प्रख्यात साहित्यकार स्व. सांवर दइया की जयंती के अवसर पर ‘राजस्थानी डाइजेस्ट’ आलोचना केंद्रित वेब-पत्रिका का लोकार्पण वरिष्ठ साहित्यकार मारवाड़ रत्न देवकिशन राजपुरोहित ने किया। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘सरोकार’द्वारा आयोजित कार्यक्रम में राजपुरोहित ने कहा कि मुझे बेहद खुशी है आज राजस्थानी आलोचना को समर्पित ‘राजस्थानी डाइजेस्ट’का लोकार्पण कर रहा हूं। किसी भी भाषा के साहित्य के लिए आलोचना-साहित्य अनिवार्य होता है और राजस्थानी के सिलसिले में यह कहा जाता है कि आलोचना डाइजेस्ट नहीं होती ऐसे में उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि ‘राजस्थानी डाइजेस्ट’ से आलोचना को स्वीकार करने का स्वभाव साहित्यकारों और पाठकों में विकसित होगा।
कार्यक्रम में प्रख्यात रंगकर्मी और साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि सांवर दइया का अवदान आधुनिक राजस्थानी साहित्य में कविता, कहानी और व्यंग्य के क्षेत्र में अविस्मरणीय है। उनकी रचनाओं के द्वारा राजस्थानी में आधुनिक कहानी का आरंभ माना जाता और कविताओं में उन्होंने अनेक प्रयोग किए। राजस्थानी में व्यंग्य विधा की स्थापना के लिए उनकी बेजोड़ कृति‘इक्यावन व्यंग्य’ आज भी प्रासंगिक और समसामयिक मानी जाती है। ‘राजस्थानी डाइजेस्ट’ के संदर्भ में आशावादी ने कहा कि इससे राजस्थानी साहित्य का व्यापक प्रचार प्रसार होगा वहीं पुस्तकों को नए पाठक मिलेंगे और पाठकों को चयन के विकल्प भी मिल सकेंगे।
सरोकार के अध्यक्ष वरिष्ठ व्यंग्यकार-कहानीकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि राजस्थानी में पुस्तकों पर बहुत कम चर्चा और आलोचना-सामालोचना के दौर में डाइजेस्ट द्वारा महत्त्वपूर्ण काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वेब-पत्रिका जैसे त्वरित प्रसार प्रसार के माध्यम में ऐसा अनुपम आलोचकीय आयोजन के लिए डॉ. नीरज दइया निश्चय ही बधाई के पात्र है।
सरोकार के सचिव कवि-कहानीकार नवनीत पाण्डे ने साहित्यकार सांवर दइया के सृजन पर चर्चा करते हुए बताया कि वे मात्र चवालिस बरस की उम्र में हमें छोड़ कर चले गए किंतु उनके विपुल लेखन को देख कर आज भी आश्चर्य होता है कि इतना अधिक काम वे अल्पायु के कर के गए। पाण्डे ने कहा कि सांवर दइया आधुनिक राजस्थानी साहित्य के सिरमौर लेखक के रूप में याद किए जाते रहेंगे। पाण्डे ने कहा कि एक सच्चे और खरे मिनख सांवर दइया को उनकी जयंती पर उनके योग्य पुत्र कवि आलोचक डॉ. नीरज द्वारा संचालित राजस्थानी आलोचना को समर्पित वेब-पत्रिका ‘राजस्थानी डाइजेस्ट’ के माध्यम से हम सदा स्मरण करते रहेंगे।