मुहर्रम के ताजियों को किया दफ़न, ताजिये बनाने वाले कारीगर हुए सम्मानित
बीकानेर । हिन्दू धर्म के पर्व दशहरे के अगले ही दिन शहर में मुस्लिम समुदाय के लोंगो द्वारा मुहर्रम के ताजियों को दफन किया गया। बीती शाम को शहर के मोहल्लो में निकाले गये तजियों की चौकी के सामने अखाड़ों में करतब दिखाए गए। ग़मगीन माहौल में निकले ताजियो में “अल्ला हु अक़बर , हाय हसन हम नही थे”, आदी के नारे लगाये जा रहे थे। अन्जुमन ईन्तजामिय कमेटी की और से दाऊजी रोड़ पर ताजिया बंनाने वाले लोगों का सम्मान किया गया। कमेटी के अध्यक्ष इक़बाल मिर्जा ने बताया की लवभग 25 वर्षो से कमेटी यातायात व्यवस्था और सम्मान समारोह का आयोजन करती हे
इस बार कमेटी की और से 31मोहल्लों के ताज़िया कमेटी के मेम्बरों को मोमेन्टो देकर सम्मानित किया । मोहल्ला व्यपारियांन कमेटी, ख्वाजा गरीब नवाज़ कमेटी सहित शहर के अलग-अलग मोहल्लों की कमेटियों ने जगह-जगह पर छबील,खीर, शर्बत,पानी,आदि की सेवाएं लगा रखी थी। शहर के बड़े बाज़ार में इस बार 7 ताज़िये निकले । मुश्ताक़ भाटी ने बताया कि बीकानेर की गंगा जमुनी परम्परा को निर्वाह करते कमेटी ने भजनों की धुनें भी बजाई। इस अवसर पर विधायक गोपाल जोशी,सत्यप्रकाश आचार्य, सलीम भाटी , हाजी मकसूद,अनवर अजमेरी, नीरज गोस्वामी,सहित गणमान्य व्यकि मौजूद थे ।
त्यौहार नही बल्कि मातम का दिन
इमाम हुसैन शहादत की याद में मुहर्रम मनाया जाता है। यह कोई त्योहार नहीं बल्कि मातम का दिन है। इमाम हुसैन अल्लाह के रसूल (मैसेंजर) पैगंबर मोहम्मद के नाती थे। यह हिजरी संवत का प्रथम महीना है। मुहर्रम एक महीना है, जिसमें शिया मुस्लिम दस दिन तक इमाम हुसैन की याद में शोक मनाते हैं और कला लिबाश पहनते है ।
दाउजी मेरे देवता, नौगजा मेरे पीर
बीकानेर के साहित्यकार द्वारा की लिखी ये लाईने … दाउजी मेरे देवता, नौगजा मेरे पीर …..बलवान शाह पे मैं वारी-वारी जाऊं, लिखमीनाथ म्हारो सेठ ……बुध करूं गढ़ गणेश रा दर्शन, जुम्मेरात हालिमा दादी री सीरनी ……पंचमुखा हड़मान जी री करूं मंगला आरती, दो पीर सजदे सीस……नागणेचीजी-रतनबिहारी में झालर बाजे,ईदगाह गूंजे अजाऩ …..दिखणादे खड़ी डोकरी मां करणी,आथूणे जेठा भुट्टा करे सहाय ……अल्ला करे सबका भला,रामापीर धोके जहान …. आज बीकानेर में हिन्दु-मुस्लिम एकता का वर्णन करती है।
बकरी ईद की नमाज से हो जाता है ताजियों का निर्माण कार्य शुरू
शहर में बकरी ईद की नमाज से ताजियों का निर्माण कार्य शुरू हो जाता है। शहर के कुचिलपुरा, न्यारियान मौहल्ला, डिडुसिपाहियान, दमामी मौहल्ला, खटिकान मौहल्ला, माहवतान मौहल्ला, सिक्कों मौहल्ला, रामपुरा बस्ती, सर्वोदय बस्ती, मोहल्ला व्यापारियान् , चूनगरान और भी अनेक जगहों से बीकानेर में ताजिये निकलते है व सांय को ताजियों को चौखुटी स्थित करबला में दफन करने के लिए ले जाया जाता है।