-व्यवस्था के विरुद्ध जनाक्रोश कभी भी ले सकता आंदोलन का रूप ।

बिहार(सुपौल)-(ब्यूरों)-जिले के त्रिवेणीगंज प्रखंड में जनवितरण प्रणाली की व्यवस्था बेलगाम होकर रह गई है। व्यापक स्तर पर जनवितरण प्रणाली के राशन केरोसिन की कालाबाजारी खुलेआम जारी है। ग्रामीणों की इस संबंध में शिकायतें नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हो जा रही है। इस प्रणाली पर माफियातंत्र हावी है। स्थानीय सफेदपोश दलालों, स्थानीय भ्रष्ट अधिकारियों और इस प्रणाली के कुछ दबंग दुकानदारों बीपीएल एपीएल एवं अंत्योदय योजना का खाद्यान्न खुले बाजार में बेच रहा है।जनवितरण प्रणाली की व्यवस्था के विरुद्ध जनाक्रोश कभी भी आंदोलन का रूप ले सकता है।जिसकी बानगी को पिलवहा पंचायत वार्ड 10 के जनवितरण प्रणाली विक्रेता प्रदीप कुमार महतो से जुड़ा है। एक ओर जहां सरकारी मापदंडों का घोर उल्लंघन किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ताओं को खाद्यान्न में सिर्फ चावल देकर निर्धारित मूल्य से अधिक राशि वसूली जा रही है।वही गेंहू व दाल वितरण नही किया जा रहा है।ग्रामीणों ने जन वितरण प्रणाली विक्रेता पर महीनों से खाद्यान्न नहीं देने का आरोप लगाया है सोमवार को सैकड़ों की संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने आक्रोशित होकर जनवितरण प्रणाली विक्रेता को घेर लिया जिसके बाद बुद्धिजीवियों की पहल के बाद मामला शांत हुआ।लाभुकों ने बताया कि हमलोगों को करीब तीन महीनों सेयहां खाद्यान्न नहीं मिला है। डीलर के पास जब आते हैं तो कोई न कोई बहाना बना कर हमलोगों को लौटा देता है। लॉकडॉउन के समय से लेकर अभी तक न तो दाल मिला है न ही चना और न ही किसी भी प्रकार का कोई भी खाद्यान्न।कुछ लोगों ने बिना अनाज दिए डीलर पर पॉश मशीन में महीनों पूर्व अंगूठा निशान लेने का भी आरोप लगाया है। इसके साथ ही लोगो का यह भी कहना था कि हमलोगों के द्वारा इन बातों की शिकायत कई बार प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी त्रिवेणीगंज से की गई लेकिन प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी द्वारा भी जाँच के नाम पर सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति की गई।वहीं इन बातों को लेकर जब जन वितरण प्रणाली विक्रेता प्रदीप कुमार महतो से पूछा गया तो उन्होंने अपनी विवशता औऱ लाचारी बताते हुए कहा कि लोगों को देने के लिए जो खाद्यान्न हम उठा कर लाते हैं उसमें से अधिकांश मेरा बेटा संजय महतो बेचकर शराब पी जाता है इसके साथ ही कुछ बिचौलिए भी जबरन बेच लेते हैं कुछ जो बचता है वह मेरा बेटा संजय ही लोगों को बांटता है तो किसी को चावल मिलता है तो किसी को गेहूँ तो किसी को दाल।बात पूरी तरह से साफ है कि जनवितरण प्रणाली के दुकानदारों के द्वारा उपभोक्ताओ का लगातार शोषण जारी है।

जिसे न तो देखने वाला और न ही कोई सुनने वाला है।अधिकांशत: उपभोक्ताओं को राशन किरासन की आपूर्ति नहीं की जाती है।जिस कारण जनवितरण प्रणाली के उपभोक्ता तिहरे मार झेलने को विवश हैं।वही जनवितरण प्रणाली बिक्रेता प्रदीप महतो का कहना है कि कुछ बिचौलियों व मेरा बेटा अनाज बेच कर शराब पी जाता है तो मैं क्या करूं।इस संबंध प्रखण्ड आपूर्ति पदाधिकारी हारुण रसीद ने बताया कि मैं सुपौल में हूं वैसे भी दो दिन पूर्व मैने डीलर के स्टॉक की जांच की थी कही कोई गड़बड़ी नही पाया गया था।कल फिर मैं डीलर के दुकान पर जाकर उपभोक्ताओं से मिलकर डीलर दुकान की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।

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