बीकानेर । महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर द्वारा बुधवार को समारोह पूर्वक स्थापना दिवस मनाया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निवर्तमान अध्यक्ष प्रो. वेदप्रकाश मुख्य वक्ता के रूप में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने की।
कार्यक्रम का प्रारम्भ विश्वविद्यालय के कुलगीत एवं मॉ सरस्वती की वन्दना के साथ हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किये गए यूनिवर्सिटी न्यूज बुलेटिन का लोकार्पण प्रो. वेदप्रकाश, विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह, कुलसचिव मनोज कुमार शर्मा एवं बुलेटिन के सम्पादक डॉ. बिट्ठल दास बिस्सा द्वारा किया गया। उक्त न्यूज बुलेटिन में विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विभिन्न शैक्षणिक एवं प्रशासनिक गतिविधियों का संकलन किया गया है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह अपने स्वागत एवं प्रगति प्रतिवेदन में विश्वविद्यालय में संचालित गतिविधियों के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। प्रो. भगीरथ सिंह ने स्थापना दिवस को विश्वविद्यालय के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आज के जश्न को बौद्धिक रूप से मनाया जा रहा है। उन्होने कहा कि पिछले दिनों विश्वविद्यालय आयोजित कैम्पस डॉयलॉग कार्यक्रम में क्षेत्र के शिक्षाविदों द्वारा दिये गए सुझावों को मूर्तरूप प्रदान करते हुए देश के ख्यातिनाम शिक्षाविद् प्रो. वेदप्रकाश को आमंत्रित किया गया है। प्रो. वेदप्रकाश को पिछले 12 वर्षो में देश की उच्च शिक्षा को संचालित करने वाली संस्थान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में विभिन्न पदों पर कार्य करने का अनुभव है। इनके अनुभव से निश्चित रूप से इस क्षेत्र एवं विश्वविद्यालय को फायदा मिलेगा। प्रो. भगीरथ सिंह ने आज के दिवस को संकल्प दिवस के रूप इंगित करते हुए कहां कि विश्वविद्यालय की स्थापना चाहे किसी ग्रह अथवा नछत्र में हुई हो विश्वविद्यालय अपने कर्मो के माध्यम से नछत्रों एवं ग्रहों की प्रतिकूलता को समाप्त कर विश्वविद्यालय को एक नई दिशा की ओर ले जाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने इस अवसर पर यह संकल्प व्यक्त किया कि विश्वविद्यालय शैक्षणिक गुणवत्ता के क्षेत्र में कोई समझौता नही करेंगा। महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के मध्य एक सकारात्मक महौल बने सके इसके लिए विश्वविद्यालय द्वारा बौद्धिक एवं मानव संसाधन उपलब्ध करवाये जाएगें। आगामी दिनों में यूनिवर्सिटी फॉर कॉलेजेज कार्यक्रम का शुभारम्भ किया जाएगा। नई सोच, नये विचार एवं नई खोज के माध्यम से हर दिन कुछ नया करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने विश्वविद्यालय के विकास का रोडमैप प्रस्तुत करते हुए कहा कि आगामी दिनों में आधारभूत विकास करने के लिए विभिन्न भवनों का निर्माण प्रारम्भ किया जाएगा। साथ शैक्षणिक एवं शोध गतिविधियों के संचालन के लिए विश्वविद्यालय स्तर विभिन्न सेन्टर की स्थापना की गई। उन्होने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा भारत के समस्त चिन्तकों की पुस्तकों का संग्रहण कर विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में उपलब्ध करवाई जा रही है। ताकि आमजन एवं विद्यार्थी विश्वविद्यालय के पुस्तकालय से जुडकर इसका फायदा ले सके।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निवर्तमान अध्यक्ष प्रो. वेदप्रकाश ने अपने आख्यान में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान स्थितियों के संदर्भ में विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से प्रकाश डाला। उन्होंने विश्वविद्यालयों को विश्व का शिक्षा मंदिर इंगित करते हुए कहा कि समाज को सबसे अधिक आशा विश्वविद्यालयों से होती है। 18वीं शताब्दी में तक्षशिला, नालन्दा आदि विश्वविद्यालयों की स्थापना ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी। उन्होने वर्तमान समय में शिक्षा में विभिन्न विषयों में अर्न्तभेद को समाप्त करते हुए अन्तर्विषयक शिक्षा पर जोर दिया। प्रो. वेदप्रकाश ने भारत को एक युवा राष्ट्र बताते हुए कहा कि शिक्षा व्यवस्था में विश्व स्तर पर व्यापक प्रतिस्पर्धा हैं । विश्व स्तर पर शिक्षा व्यवस्था में स्थापित होने के लिए वर्तमान शिक्षा पद्धति में व्यापक बदलाव की आवश्यकता है। वैश्विक स्तर पर हो रहे परिवर्तनों को समय-समय पर शिक्षा व्यवस्था में शामिल करना एवं आस-पास के परिप्रेक्ष्य एवं समस्याओं को ध्यान में रखकर शिक्षा प्रणाली को तैयार करना उच्च शिक्षा को आगे बढाने का मूल मंत्र है। प्रो. वेदप्रकाश ने शैक्षणिक संस्थाओं को क्षेत्रवाद, जातिवाद एवं अन्य प्रभावों से मुक्त करने पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि सकारात्मक सोच एवं व्यापक दृष्टिकोण के माध्यम से प्रत्येक वर्ग अपने दायित्वों का निर्वहन करे। प्रो. वेदप्रकाश ने संविधान में उल्लेखित मूल कर्त्तव्यों को इंगित करते हुए कहा कि प्रत्येक शैक्षणिक संस्थाओं में इन बिन्दुओं पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्होने सार्वजनिक सम्पति को राष्ट्रीय धरोहर बताते हुए कहां कि विद्यार्थियों एवं समाज के किसी भी वर्ग को इन्हें खण्डित नही करना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ बनने के लिए हमेशा अपने मापदण्ड स्थापित किये जाने चाहिए। विश्वविद्यालय को सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय बनाने के लिए उन्होंने स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा के माध्यम से लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि एक छोटे परिसर, न्यूनतम संकाय एवं विद्यार्थियों के माध्यम से भी विश्वविद्यालय को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है। प्रो. वेदप्रकाश ने विश्वविद्यालय में संचालित गतिविधियों के लिए कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह को बधाई देते हुए विश्वास व्यक्त किया आने वाले समय इस विश्वविद्यालय की गिनती श्रेष्ठ विश्वविद्यालय के रूप में होगी। कार्यक्रम में राष्ट्रीय शुष्क बागवान संस्थान के निदेशक डॉ. पी.एल. सरोज, सहायक निदेशक, कॉलेज शिक्षा डॉ. दिग्विजय सिंह, विश्वविद्यालय प्रबन्ध मण्डल सदस्य डॉ. एस. के. अग्रवाल, डॉ. अनिल कुमार छंगाणी, डॉ. आर.जी. शर्मा, विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के अधिष्ठाता के रूप में डॉ. बेला भनोत, डॉ. विभा शर्मा, डॉ. सुरेन्द कुमार सहारण, एम.एस. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. उमाकान्त गुप्त, प्रो. एच.पी. व्यास, विश्वविद्यालय के सह-आचार्य डॉ. नारायण सिंह राव, डॉ. राजाराम चोयल, विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक भंवर सिंह चारण, परीक्षा नियंत्रक डॉ. जे.एस. खीचड़, उप कुलसचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा सहित विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य एवं शिक्षकगण उपस्थित थे।
कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कुलसचिव मनोन कुमार शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षकों/अधिकारियों/कर्मचारियों के सहयोग से विश्वविद्यालय को विकास के पथ पर अग्रसित करने का प्रयास किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मेघना शर्मा ने किया।
स्थापना दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय कार्मिकों को तोहफा देते हुए परिसर में उनके लिए स्टॉफ रेजीडेन्स का शिलान्यास प्रो. वेदप्रकाश एवं कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह द्वारा किया गया। विश्वविद्यालय के सम्पदा अधिकारी कुलदीप जैन ने प्रोजेक्ट के संदर्भ अतिथियों को विस्तार से अवगत कराया। इस अवसर विश्वविद्यालय कुलसचिव मनोज कुमार शर्मा, वित्त नियंत्रक भंवर सिंह चारण सहित विश्वविद्यालय के अधिकारी/कर्मचारीगण उपस्थित थे।