गुरुग्राम,हरियाणा। (दिनेश शर्मा” अधिकारी”)। 28 मार्च को होली के अवसर पर किसान-विरोधी तीनों कानून को होलिका दहन में जलाया गया*

शाहजहांपुर-खेड़ा बोर्डर पर किसानों का फैसला : 300 से ज्यादा किसानों की शहादत हो चुकी है,आंदोलन जारी है अतः होली नहीं मनायेंगे और रंग नहीं खेलेंगे। खेत की मिट्टी से तिलक करेंगे किसान।

दिल्ली के चारों तरफ विभिन्न बोर्डरों के मोर्चों पर आंदोलनकारी किसानों व सम्पूर्ण देश के किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा के इस आह्वान के तहत तीनों किसान विरोधी कानूनों की प्रतिया जलाकर विरोध दर्ज कराया। शाहजहाँपुर-खेड़ा बॉर्डर पर शाम को 7.00 बजे किसान-विरोधी कानूनों की होली जलायी गयी।

आम सभा को संबोधित करते हुए किसान-वक्ताओं ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरनों को 4 महीने हो चुके हैं। किसानों ने हर प्रतिकूल मौसम और परिस्थितियों में अपने आप को मजबूत रखते हुये तीनों कृषि कानूनो के खिलाफ व MSP के लिए अपनी लड़ाई को शांति और अनुशासन के साथ आगे बढाया है। इस आंदोलन के दौरान 310 के करीब किसान शहीद हो चुके हैं। सैंकड़ो किसान सड़क दुर्घटनाओं व अन्य कारणों से बीमार भी हुए है। सरकार का किसानों के आंदोलन के प्रति घोर असंवेदनशील रवैया और अमानवीय व्यवहार रहा है।सरकार ने अपने आपको पूरी तरह से किसानों से अलग-थलग कर रखा है।

यह आंदोलन सिर्फ 4 महीने से नहीं,पंजाब व देश के कई अन्य हिस्सों में यह आंदोलन तब ही शुरू हो गया था जब ये तीन कृषि कानून अध्यादेश(ऑर्डिनेंस) के रूप मे लाये गए थे। पंजाब के किसानों ने अगुवाई करते हुए इस आंदोलन में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है।

इस आंदोलन की सबसे बड़ी ताकत यही रही है कि ये आन्दोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण और अनुशासित रहा रहा है और किसानों ने सब्र और संतोष के साथ आन्दोलन के हर पड़ाव में ज़ोर से अपनी ताकत दिखाई है। किसान नेताओ ने भी हर जगह इसी बात पर ज़ोर दिया है कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा।

भाजपा व उसके सहयोगी दलों के नेता इस आंदोलन व किसानों के खिलाफ बयानबाजी से किसानों को उकसाते रहे है। इन नेताओं द्वारा शहीद किसानों तक का अपमान किया गया। इन सब के कारण व कृषि कानूनो के विरोध के संदर्भ में किसानों ने भाजपा व इसके सहयोगी दलों के नेताओ का सामाजिक बहिष्कार किया हुआ है।

कल पंजाब के अबोहर के भाजपा विधायक का आसपास के किसानों ने विरोध करना प्रारंभ किया,भाजपा नेताओं द्वारा पैदा की गई भडकाऊ परिस्थितियों के कारण किसानों का यह आंदोलन हिंसक हुआ व विधायक के साथ शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार हुआ।

यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और अफसोस की बात है कि एक चुने हुए प्रतिनिधि के साथ इस तरह की घटना घटित होती है। इसके लिए भाजपा-आरएसएस को आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है।

हम इस घटना का जिम्मेदार भाजपा व उसके सहयोगी दलों को मानते है। भाजपा की केंद्रीय लीडरशिप अपने अहंकार में चूर है व किसानों की समस्याओं का हल करने की बजाय चुनावी राज्यों में व्यस्त है। सरकार के इस व्यवहार का खामियाजा क्षेत्रीय नेताओ को भुगतना पड़ रहा है।

संयुक्त किसान मोर्चा सभी किसानों से अपील करता है कि अब तक शांतिपूर्वक चल रहे आन्दोलन को इसी तरह शांतिपूर्ण बनाये रखे। किसान आंदोलन अब दिल्ली की सीमाओं से देश के कोने कोने में फैल रहा है। किसानों का यह ऐतिहासिक आंदोलन ज़रूर सफल होगा।

शाहजहांपुर-खेड़ा बोर्डर पर किसानों ने फैसला किया है कि आंदोलन में 300 से ज्यादा किसानों की शहादत हो चुकी है और अभी किसानों का आंदोलन अभी जारी है,अतः किसान होली नहीं मनायेंगे और न ही रंग नहीं खेलेंगे। किसान खेत की मिट्टी से तिलक करेंगे

आमसभा को निम्न वक्ताओं ने संबोधित किया:-

अमराराम,मास्टर रघुवीर सिंह भेरा, हरी सिंह यादव, राम किशन महलावत,रामकेश करोड़ी,कुलवंत मीणा, लोकेश भजेडा,राजेन्द्र सिंह आदि।।

आज की आमसभा का संचालन डॉ.संजय”माधव “ने किया।