– बृजगोपाल आचार्य को श्रद्धाजंलि अर्पित

बीकानेर। सुप्रसिद्ध विचारक, चिंतक, मनीषी, रूणिचा रामदेव के परम भक्त और तमिलनाडु राजस्थानी प्रवासी ब्राहमण महासंघ के अध्यक्ष बृजगोपाल आचार्य का गत दिनों निधन हो गया। वे 69 साल के थे। आचार्य के निधन पर शनिवार को वर्चअुल शोक सभा का आयोजन किया गया। शोक सभा में सप्त ऋषि मंडल, रचाव संस्थान आदि ने दुःख प्रकट किया। सप्त ऋषि मंडल के संरक्षक चंद्रशेखर जोशी ने कहा कि आचार्य का जन्म कोलकाता में 15 जून 1952 को हुआ। आचार्य गत 35 वर्षों से चेन्नई में प्रवासित थे। वे पहले पांच साल तक बीसी सुराणा जैन स्कूल धोबीपेट के निदेशक रहे। उसके बाद करीब बीस साल से विद्यासागर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन चेंगलपेट में बतौर डायरेक्टर कार्यरत थे। वे हमेशा दूसरों की खुशी में हमेशा अपनी खुशी देखते थे। सप्त ऋषि मंडल के ही राजेन्द्र जोशी ने कहा कि आचार्य धर्म, दर्शन, राजनीति, इतिहास से लेकर जीवन पर्ययंत निरंतत अध्ययन करते रहे और बोलते रहे।

उनका लिखने की अपेक्षा श्रोताओं से सीधे संवाद में उनका मन अधिक रमता था। उनका चले जाना हमारे समाज के लिए बहुत बड़ी क्षति है। संस्थान के अध्यक्ष देवकीनंदन व्यास ने कहा कि आचार्य एक अच्छे संगीतज्ञ और भजन गायन में प्रवीण थे। आचार्य बीकानेर, कोलकाता और चेन्नई में लोक गायकी में अवव्वल रहे। वे एक सच्चे संस्कृतकर्मी और समाज सेवक थे। उनका जाना समाज की अपूरणीय क्षति है। शोक सभा में लोकमत के संपादक अशोक माथुर, पूर्व सभापति चतुर्भुज व्यास, पुरूषोतम सेवग, हीरालाल हर्ष, एन.डी, रंगा, नटवरलाल व्यास, मेघातिथि जोशी, हीरालाल हर्ष, बृजगोपाल जोशी तथा संस्था के संजय व्यास, गौरीशंकर आचार्य, ओमप्रकाश रंगा, शशिशेखर जोशी, गिरिराज जोशी, रामप्रकाश रंगा, विकास रंगा, उमाशंकर आचार्य, शशांक शेखर आदि ने आचार्य के निधन पर दुःख प्रकट किया।

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