

नई दिल्ली.। विदेशी प्रेस में भारत विरोधी प्रचार को काउंटर करने के लिए भारत सरकार एक वैश्विक चैनल शुरू करने की योजना बना रही है। बीबीसी की तर्ज पर दुनिया के प्रमुख देशों में इसके ब्यूरो बनाए जाएंगे। मोदी सरकार के आने के बाद विदेशी मीडिया में भारत की आलोचना पर आधारित प्रचार बढ़ गया है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया के लिए रिपोर्ट करने वाले कई भारतीय पत्रकार मोदी के सख्त विरोधी हैं और इनकी रिपोर्टों से अन्य विदेशी अखबार भी राय बनाते हैं। हर प्रमुख अवसर पर और हर बड़े फैसले के विरोध में विदेशी मीडिया ने मोदी सरकार का विरोध किया है।
हाल में किसान आंदोलन को लेकर विदेशी प्रेस में काफी आलोचना की गई थी जिसके पहले बॉलीवुड की घटनाओं पर भी बड़े अंगरेजी अखबारों ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया था। तब कनाडा स्थित पाकिस्तानी पत्रकार ताहिर गोरा सहित कई बुद्धिजीवियों और पत्रकारों ने खुलकर कहा था कि भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय मीडिया में अपना पक्ष ठीक से नहीं रख पा रही है। इस दिशा में उसे सोचना चाहिए। नई दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय अखबारों को रिपोर्ट करने वाली पत्रकार राणा अय्यूब मोदी विरोधी फ्रंट पर सबसे सक्रिय रही हैं।


प्रसार भारती ने अंतरराष्ट्रीय उपस्थित वाले एक चैनल की स्थापना के प्रस्ताव मांगते हुए निविदा जारी की है। यद्यपि प्रसार भारती के अधिकारी इसे तात्कालिकता में लिया गया फैसला नहीं मानते बल्कि उनका कहना है कि इसका विचार काफी पहले से किया जा चुका था। महामारी के कारण इसमें विलंब हुआ। निविदा में डीडी इंटरनेशनल के लिए कंसलटेंसी सर्विस को योजना के साथ आने को कहा गया है। यह चैनल बीबीसी वर्ल्ड सर्विस व अलजजीरा की तरह ज्यादा समाचार केंद्रित होगा।
वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद भार्गव ने एक लेख में कहा है कि भारत विरोधी दुष्प्रचार भारत की छवि को खराब करने का अंतरराष्ट्रीय षड़यंत्र है। आश्चर्य की बात है कि इसमें विज्ञान क्षेत्र की पत्रिकाएं व पत्र भी शामिल हो गए हैं। हाल में विश्व प्रसिद्ध पत्रिका लांसेट ने कई तथ्यहीन भारत विरोधी लेख लिखे। इस पत्रिका की संपादक चीनी हैं। मेडिकल जर्नल होने के नाते इसे राजनीतिक लेखों व पूर्वाग्रही व्यावसायिक धारणाओं से बचना चाहिए। बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स की न्यूज वेबसाइट ईयू रिपोर्टर ने दावा किया है कि इन भ्रामक रिपोर्टों के पीछे मजबूत दवा लॉबी है जो नहीं चाहती कि विकासशील देश कम कीमत पर दुनिया को वैक्सीन उपलब्ध कराने की मुहिम में लग जाएं।


पाठकों को याद होगा कि टाइम पत्रिका, न्यूयार्क टाइम्स व द टेलीग्राफ भी भारत सरकार के खिलाफ एकतरफा समाचार देते रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर कदम की आलोचना करते रहे हैं।
