-पर्यावरण है सबसे बड़ी जरुरत,जिले में 1.03 फीसदी भूमि पर ही है वन

-कृष्ण चौहान
श्रीगंगानगर.‘पृथ्वी हर आदमी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रदान करती है, लेकिन हर आदमी के लालच को पुरा करने के लिए नहीं ’ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का यह कथन पर्यावरण और प्रकृति की शक्ति को इंगित करता है। प्रकृति की इसी जरुरत और अहमियत के प्रति जागरुकता के लिए विश्व पर्यावरण दिवस आज ही के दिन 5 जून को मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘इकोसिस्टम रीस्टोरेशन ’रखी गई है। यानि ‘ पारिस्थितिक तंत्र की बहाली ’करना। श्रीगंगानगर जिले में 10978 वर्ग किलो मीटर यानि 1.03 प्रतिशत क्षेत्र में ही हरियाली है। वन विभाग इस बार जिले में 172 हैक्टेयर क्षेत्रफल में 1.50 लाख पौधे लगाएगा। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना 5 जून 1972 में की। जिसके बाद से पहली दफा 1974 में विश्व यह दिवस मनाया गया।

कोरोनावायरस महामारी ने तो मानव जीवन के लिए प्रकृति और पर्यावरण दोनों के महत्व को भलीभांति समझा दिया है। समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग पर्यावरण के प्रति सजगता में आज भी शून्य तुल्य है। इसके साथ कुछ ऐसे भी लोग है जिनके लिए वृक्ष उनकी संतान के समान हैं। ऐसे ही एक शख्स है वार्ड नंबर 6 के वृक्ष मित्र सुभाष खटीक। इनके पेड़ों के प्रति जज्बे और जुनून की गवाही आज कदम्ब,मौलश्री,अशोक, चक्रेशिया,जुरूल और पलाश (कोरल ट्री) जैसे पेड़ों से सजी वार्ड की गलियां देती जा सकती है। उल्लेखनीय है कि नवंबर 2014 से सुभाष की पत्नी आशादेवी के वार्ड पार्षद बनने के बाद से समाज सेवियों और वार्डवासियों के सहयोग से खटीक ने इस कार्य को सिरे चढ़ाया है।

-5 फीट से छोटा पौधा नहीं लगाते

सुभाष खटीक ने बताया कि हम वार्ड में कभी भी पांच फीट से छोटा पौधा नहीं लगाते हैं क्योंकि छोटे पौधे गर्मी ,दीमक और पशुओं की भेंट चढ़ जाते हैं । पर्याप्त गमला,खाद -पानी , निराई गुड़ाई और मजबूत ट्री गार्ड के बिना वृक्षारोपण का सफल होना कम ही संभव हो सकता है।

-वन विभाग तैयार कर रहा है औषधीय पौधे

जिले का वन विभाग प्रशासन के साथ मिलकर 15 से ज्यादा अन्य विभागों के सहयोग से विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे तैयार कर रहा है। इसके तहत जिले को 22 नर्सरियों में 17.50 लाख पौधे तैयार कर 3.50 लाख घरों तक नि:शुल्क पहुंचाने की योजना है। जिसमें मुख्य रुप से तुलसी,गिलोय,अश्वगंधा,कालमेघ आदि पौधे शामिल किए हैं। बता दें कि इन पौधों में इम्यूनिटी बढ़ाकर कोविड-19 माहवारी से बचाव के भी औषधीय गुण हैं।

-शिक्षकों ने बनाई 60 पर्यावरण पाठशालाएं

इस विशेष दिवस पर शिक्षकों ने पर्यावरण पाठशालाएं स्थापित कर टीचर्स फॉर अर्थ मुहिम की शुरुआत की है। यह अभियान पर्यावरणविद्द प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्याणी के मार्गदर्शन में संगठन 60 राजकीय विद्यालयों में पर्यावरण पाठशालाएं स्थापित कर पौधारोपण करवाया गया है। पिछले साल प्रदेश के 29 जिलों में घर-घर सहजन अभियान के तहत कोरोना काल में 8 लाख पौधे रोपित करवाए गए और इस साल फिर से एक हजार पर्यावरण पाठशाला स्थापित कर दस लाख पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया है।

प्रकृति को बचाना बहुत जरूरी

पर्यावरण प्रेमी व वरिष्ठ अध्यापक आनंद मायासूत व 22 आरबी निवासी अध्यापक लक्ष्ण भाटी कहते हैं कि प्रकृति व पर्यावरण के लिए हर व्यक्ति को वृक्ष लगाना बहुत आवश्यक है। पौधा लगाने के बाद उसकी अच्छी तरह से सार-संभाल करनी बहुत जरूरी है।बहुत से लोग पौधे लगाकर भूल जाते हैं। इससे अच्छा है कि वो कोई पौधा लगाए ही ना लेकिन पौध लगाने की बाद उसको बड़ा करने तक पौधा लगाने वाले व्यक्ति की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।

33 फीसदी की तुलना में 1.03 फीसदी में वन

…33 फीसदी भू-भाग पर वन जरूरी मगर..1988 की राष्ट्रीय वन नीति पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए कुल भौगोलिक क्षेत्र के न्यूनतम 33 फीसदी हिस्से में वन होना चाहिए। कुल भू-भाग के 33 फीसदी हिस्से पर वन उतना ही जरूरी है, जितना रक्त में हीमोग्लोबिन मगर श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिलों में न्यूनतम 33 फीसदी क्षेत्र को वन आच्दादित करना तो दूर इस लक्ष्य के आसपास भी नहीं पहुंचा जा सकता है। श्रीगंगानगर जिला 11978 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है,इसमें केवल 1.03 फीसदी क्षेत्र में ही हरियाली है। जबकि हनुमानगढ़ जिले तो मात्रा 0.93 प्रति भू-भाग पर ही हरियाली है। हर साल लाखों पौधे लगाने का दावा वन विभाग करता है मगर वर्षों से दोनों जिलों के वन क्षेत्र में वृद्धि नहीं हो रही है। पिछले पांच साल में 20 लाख 47 हजार पौधे लगाए गए हैं।

फैक्ट फाइल
राज्य में कुल वन आच्छादित क्षेत्र-9.54 प्रतिशत

जिले में वन आच्छादित क्षेत्रफल-63 हजार 344 हैक्टेयर
जिले में कुल वन-10978 वर्ग किलो मीटर

जिले कुल वन क्षेत्र का प्रतिशत-1.03 प्रतिशत

कम है वन, किया जा रहा है प्रयास

श्रीगंगानगर जिले में पिछले पांच साल में 20 लाख 47 हजार पौधे लगाए गए हैं। लेकिन फिर भी जिले का वन क्षेत्र 1.03 प्रतिशत ही है। किसान व आम व्यक्ति को पेड़-पौधे लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। कोविड की वजह से इस बार 172 हैक्टेयर क्षेत्रफल में डेढ़ लाख पौधारोपण करने का लक्ष्य मिला है।प्रकृति के संरक्षण व पर्यावरण के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण बहुत ही जरूरी है।

आशुतोष ओझा,उपवन संरक्षक,वन विभाग,श्रीगंगानगर।