जयपुर,(दिनेश शर्मा”अधिकारी”)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बाल श्रम एक कलंक है, जो बच्चों से उनका बचपन छीन लेता है। हमें इस समस्या की जड़ तक पहंुच कर इसका उन्मूलन करना होगा।राज्य सरकार बाल श्रम रोकने एवं बाल श्रमिकों के पुनर्वास में राजस्थान को माॅडल स्टेट बनाने की दिशा में प्रयासरत है। प्रदेश में बाल श्रम रोकथाम के लिए एक हाई पावर कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा।
गहलोत शनिवार को ” विश्व बाल श्रम निषेध दिवस ” के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास से वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित वेबीनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो परिवार किसी मजबूरी के कारण अपने 18 वर्ष से कम के बच्चों को काम करने के लिए भेजते हैं, उन परिवारों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए प्रयास हों। कोविड-19 महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए राज्य सरकार ने विशेष पैकेज जारी किया है। उन्होंने ऐसे बच्चों की प्रभावी माॅनिटरिंग करने के निर्देश दिए, ताकि उन्हें भी कहीं बाल श्रम में नहीं झोंक दिया जाए। प्रदेश के हर बच्चे को बेहतर शिक्षा एवं स्वास्थ्य उपलब्ध हो इसके लिए राज्य सरकार ने 100 करोड़ रूपए का ‘नेहरू बाल संरक्षण कोष बनाया है।
इस कोष के तहत बच्चों के पालन-पोषण के लिए ” वात्सल्य योजना “एवं बाद में उनकी देखरेख के लिए ” समर्थ योजना ” लागू की गई है। उन्होंने बाल श्रम की रोकथाम एवं छुड़ाए गए बाल श्रमिकों के पुनर्वास की दिशा में किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए नोबल पुरस्कार विजेता एवं बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी को साधुवाद दिया। वेबीनार के मुख्य वक्ता नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि बाल श्रम मानवता और मानव अधिकारों का मुद्दा है। बाल श्रम से एक भी बच्चे का बचपन बर्बाद हो और वह शिक्षा के अधिकार से वंचित हो तो हम सभी को इस विषय में गहराई से सोचने की जरूरत है। उन्होने कहा कि बच्चों को बाल श्रम से मुक्त नहीं कराते हैं तो हम उन्हें उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करने के साथ अपनी जिम्मेदारी भी नहीं निभा रहे हैं। सत्यार्थी ने कहा कि बाल श्रम की रोकथाम एवं बाल श्रमिकों के पुनर्वास पर राजस्थान में अच्छे कार्य हुए हैं। बाल श्रमिकों के पुनर्वास पर प्रभावी अमल के लिए उनका संगठन बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से पूरा सहयोग देगा ।