पंडित ओमकारनाथ ठाकुर भारत के शिक्षा शास्त्री संगीतज्ञ और हिंदुस्तान के शास्त्रीय संगीतकार थे l उनका जन्म 24 जून 1897 के दिन गुजरात राज्य के बड़ौदा में हुआ था ।हुए ग्वालियर घराने से संबंध रखते थे ।
महामानव पंडित मदन मोहन मालवीय के आग्रह पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में संगीत आचार्य के पति की गरिमा बढ़ाई ।
तत्कालिक संगीत परदेसी के सभी जनों में इनकी रचना व्याप्त है । महात्मा गांधी ने उनका बयान सुनकर कहा था कि पंडित जी अपनी एकमात्र रचना से जनसमूह को जितना प्रभावित कर सकते हैं वैसा मैं अनेक भाषाओं से भी प्रभावित नहीं कर सकता । उनका काल जी गायन में वंदे मातरम सर्वोत्तम है । या रचना स्वतंत्र भारत के प्रथम सूर्योदय पर रेडियो द्वारा प्रसारित की गई थी l वर्ष 19 50 मैं जब काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संगीत और कला संकाय की स्थापना हुई तो वह उसके पहले डीन बने ।
इन्हें संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया गया ।इनकी कुछ गीत हर मानव के मस्तिष्क में गूंजते रहता है जैसे मैं नहीं माखन खायो, जोगी मत जा और पग घुंघरू बांध मीरा नाची थी विख्यात रहा l 29 दिसंबर 19067 मैं इनकी मृत्यु मुंबई महाराष्ट्र में हो गई ।