रिपोर्ट – दिनेश शर्मा अधिकारी

जयपुर,( ओम एक्सप्रेस)। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधिपति दिनेश माहेश्वरी, ने वैकल्पिक विवाद निस्तारण के विभिन्न माध्यमों के न्यायिक निर्णयन की मूल विधा के साथ सामन्जस्य स्थापित कर न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने पर जोर दिया। न्यायालयों में बढ़ते हुए मुकदमों के भार को कम करने की दिषा में वैकल्पिक विवाद निस्तारण व्यवस्था को उपयोग में लाते हुए आमजन को सस्ता, सुलभ एवं शीघ्र न्याय दिलाने के साथ वैकल्पिक विवाद निस्तारण व्यवस्था को नवीन प्रतिमानों तक ले जाने पर बल दिया। सभी न्यायिक अधिकारी प्रतिभागियों को प्रेरित करते हुए सन्देष दिया कि विधिक सेवा संस्थानों का मूल लक्ष्य ‘‘न्याय सबके लिए’’ तभी सार्थक होगा जब प्रत्येक न्यायिक अधिकारी, हर उस व्यक्ति को जो न्यायालय की शरण में आता है, न्याय दिलाने के लिए सतत्, सक्रिय एवं सार्थक प्रयास करें। प्रिवी काउंसिल से लेकर हाल ही में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित न्याययिक निर्णय एविटेल पोस्ट स्टूडिऑज् लिमिटेड अन्य बनाम् एच.एस.बी.सी. पाई हॉल्डिंग (मॉरिशस) निर्णय दिनांक 19.08.2020 तक वैकल्पिक विवाद निस्तारण प्रक्रिया की विकास यात्रा पर भी प्रकाश डाला।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीपति दिनेश माहेश्वरी

राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से शनिवार 24 जुलाई को वेबीनार के माध्यम से अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे,जिसका सीधा प्रसारण यू-ट्यूब के द्वारा भी किया गया।

वेबीनार में माननीय न्यायाधिपति इन्द्रजीत माहंती, मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय, एवं मुख्य संरक्षक, रालसा, माननीय न्यायाधिपति संगीत लोढ़ा, प्रषासनिक न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण व माननीय न्यायाधिपति विजय बिश्नोई, न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय व जज इन्चार्ज मध्यस्थता, राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर द्वारा भी उद्बोधन दिया गया।

माननीय न्यायाधिपति इन्द्रजीत माहंती, मुख्य न्यायाधीष, राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा अपने उद्बोधन में कहा कि न्याय व्यवस्था के भविष्य का एक अहम् हिस्सा वैकल्पिक विवाद निस्तारण व्यवस्था है। वेबीनार के आयोजन के लिए राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को शुभकामनाएं दी।

माननीय न्यायाधिपति संगीत लोढ़ा, प्रषासनिक न्यायाधीष, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा वेबीनार की विधिवत् शुरूआत स्वागत उद्बोधन में कहा कि राजस्थान में वैकल्पिक विवाद निस्तारण व्यवस्था एक सफलतम् प्रयोग साबित हुआ है, जो कि उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसर है। कोविड काल में ऑनलाइन माध्यम से लोक अदालत का आयोजन किया गया, जो कि आमजन की न्याय तक पहुंच का सुगम माध्यम बना। सभी अतिथिगण का हार्दिक अभिनन्दन किया गया।

माननीय न्यायाधिपति श्री विजय विष्नोई, न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा सभी प्रतिभागियों को मध्यस्थता प्रक्रिया की बारीकियों से अवगत कराया। यह भी बताया कि विवाद समाधान के साधन के रूप में मध्यस्थता लागत प्रभावी, समय की बचत कराने में सक्षम एवं पक्षकारों के लिए सुविधाजनक है।

कार्यक्रम के अन्त में मुख्य अतिथि माननीय न्यायाधिपति श्रीमान् दिनेश माहेश्वरी, न्यायाधिपति, उच्चतम न्यायालय के द्वारा प्रतिभागियों के प्रष्नों का भी समाधान किया। तत्पश्चात् ब्रजेन्द्र कुमार जैन, सदस्य सचिव, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा सभी अतिथिगण एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। वेबीनार में राजस्थान के समस्त न्यायिक अधिकारीगण, प्रषिक्षु न्यायिक अधिकारीगण एवं प्रषिक्षित मध्यस्थगण द्वारा भाग लिया।