माना जाता है प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से मेडिकल प्रोफेशन महंगा होता है, वह जमाना याद आता है जब डॉक्टर मरीज के प्रति सेवा भाव रखते थे, (आज भी कई सेवाभावी डॉक्टर हैं) क्योंकि उनकी पढ़ाई में ज्यादा फीस नहीं लगती थी। लाखों रुपए की महंगी फीस लगने से डॉक्टर भी अपना खर्चा निकालने के लिए मरीज की हैसियत देखकर इलाज का सोचेगे। ढेर सारी जांच, महंगी दवाई, सीरियस नहीं होने पर भी हॉस्पिटल में रखना कुछ भी जतन करके पैसा तो वसूलना पड़ेगा। देखा जाए तो प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में लाखों रुपए फीस देकर अयोग्य व्यक्ति भी डॉक्टर बनेगा उसमें कितना ज्ञान है उसकी कोई गारंटी नहीं। इसी तरह आरक्षण कोटे में भी अयोग्य डॉक्टर बन जाते हैं। जिनके पास पैसा नहीं है और ज्ञान है वह रह जाते हैं। यहा पूरा सिस्टम को बदलना होगा और जिस पेशे से मानवता की उम्मीद रखते हैं उस की पढ़ाई खर्च अधिक नहीं होना चाहिए। कई सीनियर डॉक्टर्स का यह मन है की डॉक्टरी पढ़ाई महंगी नहीं हो और इसमें आरक्षण किसी भी हालत में नहीं होना चाहिए, तभी आप हम लोगों से कोई अच्छी उम्मीद करो वरना यह मेडिकल प्रोफेशन पैसा कमाने का होकर शुद्ध रूप से सेवा भाव का नहीं रहेगा।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)

