नई दिल्ली,दिनेश शर्मा”अधिकारी”)। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी कि सीआरपीएफ का 83 वां स्थापना दिवस धुमधाम से मनाया। यह एक विशेष पुलिस बल है जिसे केंद्रीय पुलिस बल भी कहा जाता है।
ब्रिटिश राज में नीमच में ही 27 जुलाई 1939 को बल की पहली बटालियन की स्थापना की गई थी। उस समय इसे क्राउन रिप्रजेंटेटिव्ज पुलिस (सीआरपी) कहा जाता था। देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारतीय संघ के तहत 1949 में इसका नाम बदलकर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) कर दिया था।
– केन्द्रीय सुरक्षा बल की कुछ शौर्य गाथाओं के बारे में :-
आंतरिक सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) भारत संघ का प्रमुख केंद्रीय पुलिस बल है। यह सबसे पुराना केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बल (अब केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के रूप में जानते हैं) में से एक है जिसे 1939 में क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में गठित किया गया था। क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस भारत की तत्कालीन रियासतों में आंदोलनों, राजनीतिक अशांति, साम्राज्यिक नीति के रूप में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर स्थापित की गई थी। 1936 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के मद्रास संकल्प को ध्यान में रखकर सीआरपीएफ की स्थापना की गई। 1950 से पहले भुज तत्कालीन पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ (पीईपीएसयू) और चंबल के बीहड़ों के सभी इलाकों में अपने काम के लिए सीआरपीएफ के प्रदर्शन की सराहना की गई। भारत संघ में रियासतों के एकीकरण के दौरान बल ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जूनागढ़ की विद्रोही रियासत और गुजरात में काठियावाड़ की छोटी रियासत जिसने भारतीय संघ में शामिल होने के लिए मना कर दिया था, इन दोनों को अनुशासित करने में इस बल ने केंद्र सरकार की काफी मदद की थी। आजादी के तुरंत बाद कच्छ, राजस्थान और सिंध सीमाओं में घुसपैठ और सीमा पार अपराधों की जांच के लिए सीआरपीएफ की टुकड़ियों को भेजा गया। पाकिस्तानी घुसपैठियों की ओर से शुरू किए गए हमलों के बाद सीआरपीएफ के जवानों को जम्मू-कश्मीर की पाकिस्तानी सीमा पर तैनात किया गया। भारत के लद्दाख पर पहली बार 21 अक्टूबर 1959 को चीनी हमले को सीआरपीएफ के जवानों ने नाकाम किया। पुलिस बल के एक छोटे से गश्ती दल पर चीन ने हमला किया जिसमें बल के दस जवानों ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी शहादत की याद में देश भर में हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में अर्धसैनिक बलों के इतिहास में पहली बार महिलाओं की एक टुकड़ी के साथ सीआरपीएफ की 13 कंपनियों को आतंकवादियों से लड़ने के लिए भारतीय शांति सेना के साथ श्रीलंका भेजा गया। संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के एक अंग के रूप में सीआरपीएफ के कर्मियों को हैती, नामीबिया, सोमालिया और मालद्वीप के लिए वहां की कानून और व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए भेजा गया। 70 के दशक के बाद जब उग्रवादी तत्वों ने त्रिपुरा और मणिपुर में शांति भंग की तो वहां सीआरपीएफ बटालियनों को तैनात किया गया था। सीआरपीएफ की ताकत न केवल कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए बल्कि संचार तंत्र व्यवधान मुक्त रखने के लिए भी शामिल किया गया। पूर्वोत्तर में विद्रोह की स्थिति से निपटने के लिए इस बल की प्रतिबद्धता लगातार उच्च स्तर पर है। 80 के दशक से पहले पंजाब में जब आतंकवाद छाया हुआ था तब राज्य सरकार ने बड़े स्तर पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की तैनाती की मांग की थी।