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ओम एक्सप्रेस न्यूज बीकानेर। महान् इटालियन विद्वान राजस्थानी पुरोधा डॉ. लुईजि पिऔ टैस्सीटोरी विश्व बंधुत्व के सेतु थे, उन्होंने सभी सीमा को लांघकर राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति और पुरातत्व के लिए समर्पित भाव से काम किया। उनको नमन करना अपनी विरासत को याद करना है।
यह उद्गार वरिष्ठ साहित्यकार-चिन्तक लक्ष्मीनारायण रंगा ने प्रज्ञालय एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा बुधवार को प्रात: 10 बजे डॉ. टैस्सीटोरी की समाधि-स्थल पर उनकी 98वीं पुण्यतिथि पर आयोजित तीन दिवसीय ‘ओळू-समारोह’ के प्रथम दिन पर नमन कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार-समालोचक भवानी शंकर व्यास ने कहा कि डॉ. टैस्सीटोरी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, उन्हे निरन्तर सृजनात्मक आयोजनों की श्रृंखला में संस्था द्वारा याद करना महत्वपूर्ण कार्य है। ऐसे प्रयासों के माध्यम से ही डॉ. टैस्सीटोरी की सेवाएं जन-जन तक पहुँच पायेगी।

कार्यक्रम के प्रारंभ में राजस्थानी मान्यता आन्दोलन के प्रवर्तक कवि-कथाकार कमल रंगा ने कहा कि डॉ. टैस्सीटोरी युवाओं के प्रेरणा पुंज है वे बहुभाषी होने के साथ-साथ कुशल सम्पादक एवं शोधार्थी भी रहेे। उनके द्वारा रामायण एवं शंकराचार्य पर शोध करना इसका प्रमाण है। कार्यक्रम के तीन चरणों पुष्पांजलि-काव्यांजलि एवं विचारांजलि के तहत कवि गिरधरदान, शायर जाकिर अदीब, मयूनीद्दीन डॉ. तुलसीराम मोदी ने अपनी कविताओं के माध्यम से डॉ. टैस्सीटोरी को नमन करते हुए उनके राजस्थानी योगदान को रेखांकित किया। साहित्यकार अबीरचंद व्यास ने राजस्थानी भाषा की वैभवशाली परम्परा को रेखांकित करते हुए उन्हें नमन किया तो वही रंगकर्मी एवं बी. एल. नवीन ने राजस्थानी भाषा-संस्कृति के लिए सामूहिक प्रयास की बात कही।
साहित्यकार मधुरिमा सिंह ने कहा कि संस्था के प्रयास प्रशंसा योग्य तो है ही साथ ही इस माध्यम से ऐसी प्रतिभा के बारे में जानकारी जन-जन तक पहुंचती है। कार्यक्रम में व्यंग्यकार आत्माराम भाटी ने कहा कि डॉ. टैस्सीटोरी ने पुरातत्व संबंधी महत्वपूर्ण कार्य किया। नेमचंद गहलोत ने कहा कि ऐसी महान् आत्मा को नमन करना हमारा दायित्व है। संस्कृतिकर्मी शिवशंकर भादाणी ने डॉ. टैस्सीटोरी के भारतीय संस्कृति का अग्रदूत बताया। अरविन्द उभा ने उन्हे राजस्थानी यौद्धा कहा तो युवा शायर माजिद खान गौरी ने कहा कि युवा वर्ग को अपनी परम्परा एवं ऐसी प्रतिभाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए। शायर कोसिम बीकानेरी ने कहा कि संस्था डॉ. टैस्सीटोरी के माध्यम से मायड़ भाषा राजस्थानी के सृजनात्मक आयोजनों से युवा पीढ़ी को जोड़ रही है।
अपनी विचारांजलि देते हुए बच्छराज सोनी, शहबाज चौहान, घनश्यामसिंह, किसन, जौहर अली फरीद बाबा, महावीर स्वामी, कार्तिकम मोदी, हरिनारायण आचार्य आदि ने प्रारंभ मे सभी के साथ उनकी समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का आभार कमल रंगा ने किया।