जैसलमेर। दशहरा पर्व भारत वर्ष में धूमधाम से मनाया जा रहा है इस दिन भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के अनुसार रावण रूपी अहंकार का अंत हुआ था ये दिन भारतीय सेना के लिए भी खास है क्युकी इसी दिन जवान अस्त्र शस्त्र की पूजा अर्चना करते है इस हेतु तीनों सेनाओं ,पैरामिलेट्री फोर्स के बटालियन परिसर में कार्यक्रम आयोजित कर अस्त्र शास्त्रों की पूजा अर्चना की जाती है । ऐसा ही कार्यक्रम जैसलमेर की सम रोड़ स्थित सीमा सुरक्षा बल की 1022 तोपखाना रेजिमेंट के परिसर में आयोजित हुआ आज विजय दशमी के दिन मंदिर परिसर में अस्त्र शस्त्रों की भव्य पूजा की गई । गौरतलब है कि बीएसएफ की तोपखाना का उदय भारत पाक युद्ध 1971 के समय हुआ था क्युकी यह वहीं बल है को दुश्मन को घुटने टेकने पर मजबूर कर देता है और इसकी सबसे बड़ी ताकत तोपखाना के पास मौजूद विभिन्न प्रकार की तोपें है । आज शस्त्र पूजन के दौरान रेजिमेंट के अधिकारियों एवं जवानों ने रेजिमेंट के डिप्टी कमांडेंट राजीव बिस्ट की उपस्थिति में तोपो के साथ अन्य अस्त्र शास्त्र की पण्डित द्वारा विधिवत पूजन किया गया। इस दौरान तोपों को तिलक लगाकर माला पहनाकर पूजा की गई ।
तोपखाना रेजिमेंट 1022 के डिप्टी कमांडेंट राजीव बिस्ट ने बताया कि आपको मालूम है आज विजय दशमी के दिन शस्त्र पूजन की परंपरा रही है क्युकी शस्त्र विजय का प्रतीक चिन्ह माना गया है। आज के दिन अस्त्र शस्त्र पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होकर शक्ति प्रदान करती है ऐसा हमारा अटूट विश्वास है । आज हमारी रेजिमेंट 1022 तोपखाना में विधिवत शस्त्र पूजन किया गया । हम अपने हथियारों को अपना भगवान मानते हैं इतिहास गवाह है कि युद्ध हथियारों के बल पर लड़े जाते है । यह कहना सच होगा कि हम जिन्दा भगवान की पूजा करते है।

– विजय दशमी के पावन पर्व पर सीमा गृह रक्षा दल कमांडो ने अस्त्र शस्त्र पूजन।

जैसलमेर। दशहरा पर्व भारत वर्ष में धूमधाम से मनाया जा रहा है इस दिन भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के अनुसार रावण रूपी अहंकार का अंत हुआ था ये दिन भारतीय सेना के लिए भी खास है क्युकी इसी दिन जवान अस्त्र शस्त्र की पूजा अर्चना करते है इस हेतु सीमा गृह रक्षा दल कमांडो ने कवास में कार्यक्रम आयोजित कर अस्त्र शास्त्रों की पूजा अर्चना की आज के दिन अस्त्र शस्त्र पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होकर शक्ति प्रदान करती है ऐसा हमारा अटूट विश्वास है । हमारी रेजिमेंट कमांडो कैंप में शस्त्र पूजन किया गया । हम अपने हथियारों को अपना भगवान मानते हैं इतिहास गवाह है कि युद्ध हथियारों के बल पर लड़े जाते है । यह कहना सच होगा कि हम जिन्दा भगवान की पूजा करते है।