

जोधपुर।कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि डॉक्टर कमलेश चौधरी को राजनीतिक कारण से हटाकर जुनियर चिकित्सक को लगाया था सीएमएचओ जैसलमेर। याचिकाकर्ता डॉ. कमलेश चौधरी की ओर से अधिवक्ता यशपाल ख़िलेरी।ने जोधपुर हाईकोर्ट में रिट याचिका पेश कर बताया कि याचिकाकर्ता वर्ष 1991 में मेडिकल ऑफिसर पद पर नियुक्त हुआ था और नियमानुसार 20 वर्ष का अनुभव होने पर उसे मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी/ सीएमएचओ जैसलमेर के पद पर माह दिसंबर, 2020 में पदस्थापन किया गया ।। तब से लगातार अपनी नियमित संतोषप्रद सेवाएं दे रहा है।
अब राजनीतिक कारण से राज्य के मंत्री के रिश्तेदार होने के कारण केवल 11 साल की नौकरी होने के बाबजूद जुनियर डॉक्टर को एडजस्ट करने के लिए याची का स्थानांतरण सीएमएचओ जैसलमेर से ज़िला अस्पताल फलोदी कर दिया
याची की ओर से बताया गया कि राज्य सरकार के नियम 1963 के अनुसार मेडीकल ऑफीसर से आठ साल के अनुभव पश्चात वरिष्ठ मेडिकल ऑफीसर पद पर पदोन्नति होती है।। और वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी पद पर पांच साल के अनुभव पश्चात सीएमएचओ पद पर पदोन्नति होती हैं। याची नियमनुसार उप निदेशक/ सीएमएचओ पद पर वर्ष 2014 में ही पदोनत हो चुका है। जबकि जुनियर चिकित्सक की प्रारम्भिक नियुक्ति वर्ष 2011 में हुई थी और उसे न तो नियम 1963 के अनुरूप 13 साल का अनुभव है और न हीं राज्य सरकार के परिपत्र अनुसार 20 साल का कार्य अनुभव है।। केवल मात्र राज्य मंत्री के निजी रिश्तेदार होने के आधार पर अयोग्य जुनियर चिकित्सक को सीएमएचओ पद पर आसीन करना विधि विरुद्ध और गैर कानूनी है।
याची की ओर से बताया गया कि राज्य में सीएमएचओ पद पर नियमानुसार योग्य वरिष्ठ चिकित्सक को सीएमएचओ जैसे ज़िला स्तरीय पद पर नियुक्त करना चाहिए लेकिन राज्य सरकार के विधि विरुद्ध आदेश से वरिष्ठ चिकित्सक को जुनियर चिकित्सक के अधीन काम करना पड़ता है जो जन हित के भी खिलाफ़ है।। सीएमएचओ का पद पंचायती राज विभाग के अधीन आता है लेकिन बिना पंचायती राज विभाग की सहमति के और राजनीतिक प्रभाव से याची का स्थानांतरण किया गया है जो विधि विरुद्ध है। याची ने स्थानांतरण आदेश दिनांक 29 सितंबर 2021 को हाईकोर्ट में चुनौती दी*।
याची की ओर से बताया गया कि एक तरफ राज्य सरकार संभावित कोविड -19 की तीसरी लहर को लेकर पुरी तेयारी कर रही है जिसमे अनुभवी वरिष्ठ चिकित्सक के सीएमएचओ के रूप में अहम भूमिका है।।
ऐसे में वस्तुस्थिति और वरिष्ठता के बारे मे जाने बिना याची का स्थानांतरण करना अवैध और असंवैधानिक है
राज्य सरकार सहित जुनियर चिकित्सक को नोटिस जारी करते हुए मामले में स्थानांतरण आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए अगली सुनवाई 17.11.2021 नियत की है।
याची को हाईकोर्ट जस्टिस डॉक्टर पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की एकलपीठ से मिली बड़ी अंतरिम राहत देते हुए यह आदेश जारी किए हैं।
