नई दिल्ली,(दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। पीसीआई ने राज्य सरकार और पुलिस पर यूएपीए के इस्तेमाल से पत्रकारों और अन्य को ‘हाथ मे घुमाने’ और निशाना बनाने का आरोप लगाया। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने आज सुप्रीम कोर्ट से “मांग” की है की त्रिपुरा में हाल के घटनाक्रम का स्वत: संज्ञान ले। बयान में कहा गया है, “प्रेस क्लब ऑफ इंडिया यह जानकर हैरान है कि त्रिपुरा सरकार राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मीडियाकर्मियों के साथ-साथ कई निर्दोष नागरिकों को पीट रही है, मार रही है और गिरफ्तार कर रही है।” इस महीने की शुरुआत में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत कई पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के साथ बुक किए गए पत्रकार श्याम मीरा सिंह के बयान का नाम लिया गया है। त्रिपुरा पुलिस ने कुल 102 सोशल मीडिया हैंडल भी बुक किए थे। हिंदू ने बताया कि अब तक आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पीसीआई ने मांग की कि “कठोर यूएपीए” को “तुरंत वापस ले लिया जाए”, यह बताते हुए कि कानून का इस्तेमाल प्रेस को “डराने” और “दबाने” के लिए किया जा रहा है। 8 नवंबर को, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी यूएपीए के इस्तेमाल पर “आश्चर्य” व्यक्त किया था