अभी हमारे यहा इनकम टैक्स का ढांचा इस प्रकार है यदि आपकी सालाना इनकम 10 लाख रूपया है तो उस पर करीब 12% का टैक्स लगता है इसके ऊपर करीब 30 % परसेंट। अभी इनकम टैक्स देने के बाद बचे पैसे को खर्च करने पर निरंतर टैक्स देना पड़ता है। जो कि 5 % से शुरू होकर 28% तक अलग-अलग सामान खरीदी पर लगता है। यदि आप कहीं होटल में रुकते हैं खाना खाते हैं तो उस पर भी 12% से 18% टैक्स लगता है। अब इस को सरल भाषा में ऐसा समझे कि यहां आपको कमाने पर टैक्स देना पड़ता है और शेष राशि को खर्च करने पर भी आपको टैक्स देना पड़ता है। याने एक व्यक्ति रात दिन मेहनत कर रिस्क लेकर जान जोखिम में डालकर जो पैसा कमाता है उसका कितना बड़ा हिस्सा सरकार को चला जाता है। बाकी बचे पैसे में उसको अपना पूरा घर परिवार पालना पड़ता है जीवन के सभी खर्च उसको उठाना पड़ते हैं। उसे घर बनाना पड़ता है अब जानिए कि मकान लेने पर उसका कितना रुपया जाता है पहले वह प्रॉपर्टी खरीदेगा उसकी रजिस्ट्री पर करीब 10 परसेंट खर्च होता है और प्रॉपर्टी की कीमत पर 28 पर्सेंट जीएसटी उसको भरना पड़ता है। अनुमान लगाइए कि प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लाखों रुपए दे रहे हैं उस पर पहले से ही इनकम टैक्स दिया हुआ होता है। बस यही से शुरुआत होती है आदमी को टैक्स चोरी करने की आदत की। मानते हैं टैक्स से देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। परंतु जिसके पास थोड़ी कमाई होती है उसके जीवन में बहुत फर्क पड़ रहा है। सोचिए यदि व्यक्ति के पास इनकम टैक्स देने के बाद जो पैसे बचे ग्रीन मनी कहलाए और डिजिटली व्यवहार मैं आए, इसको कहीं भी खर्च करे तो उस पर कोई अन्य टैक्स नहीं लगे। टेंशन फ्री लाइफ और ईमानदारी की लाइफ रहेगी।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)

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