

बाड़मेर, बल्र्ब- ।बालोतरा जिला बनाने की मांग 56 साल की हो गई है। ठीक बात है कि पूर्व में केवल दूरी वजह होने से सरकार नहीं सुन पाई और आर्थिक मजबूरियां रही लेकिन अब तो बाड़मेर ही राज्य के खजाने को भर रहा है और बालोतरा में लग रहा रिफाइनरी प्रोजेक्ट तो राज्य का मेगा प्रोजेक्ट है। अब सरकार के पास इंकार करने की वजह भी नहीं है। जरूरी है कि इस मांग पर बालोतरा खुद बोले, जिनको चुना है वे सरकार को सुनाए और सरकार सुने। साझा प्रयास ही बालोतरा की बड़ी मांग को पूरा कर सकते है।
बाड़मेर, राज्य सरकार के राजस्व महकमे में बाड़मेर की लगातार सशक्त मौजूदगी के बावजूद बालोतरा जिला बनने से 56 साल से वंचित है। बार-बार सरकार तक पैरवी हुई। कमेटियां गठित हुई लेकिन बालोतरा को जिला बनाने को लेकर प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली है। बाड़मेर से गंगाराम चौधरी, अमराराम चौधरी ,हेमाराम चौधरी और हरीश चौधरी राजस्व मंत्री भी रह चुके और बाड़मेर को मारवाड़ में कांग्रेस का सबसे बड़ा गढ़ मानकर सशक्त रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी जोधपुर से ही है, बावजूद इसके बालोतरा का जिला नहीं बनना मामे के ब्याव में मां पुरसण आळी और तोई थाळाी खाली वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है।_
– अमराराम खुद का ही मुद्दा
अमराराम चौधरी भाजपा की राजनीति में लंबे समय से विधायक के तौर पर बालोतरा का एकमात्र चेहरा है और वरिष्ठता के नाते मंत्रीमण्डल में स्थान पाते रहे है। प्रदेश के भाजपा के मौजिज नेताओं में शुमार अमराराम चौधरी खुद 2013 से 2018 तक सरकार में राजस्व मंत्री रहे है। बालोतरा को जिला बनाने की उनकी मांग को वसुंधराराजे सरकार में स्वीकृति नहीं मिल पाई। इससे पूर्व की 2003 से 2008 की वसुंधराराजे सरकार में भी अमराराम को मंत्री बनाया गया है।
– हेमाराम चौधरी मंत्री रहे और है
हेमाराम चौधरी गुड़ामालानी से विधायक है। इससे पूर्व में 2008 से 2013 की कांगे्रस सरकार में राजस्व मंत्री थे। उनके कार्यकाल में भी यह मुद्दा आया लेकिन इसका हल नहीं हो पाया। मौजूदा सरकार में उन्हें पुन: वनमंत्री बनाया गया है। वे अभी सरकार की केबिनेट का हिस्सा है और उनके लिए भी यह मुद्दा नया नहीं है।
– हरीश चौधरी भी रहे राजस्व मंत्री
बायतु विधायक हरीश चौधरी 2018 में बनी कांग्रेस सरकार में राजस्व मंत्री बनाए गए,जिनको हाल ही के मंत्रीमण्डल के फेरबदल में पंजाब कांग्रेस प्रभारी बनने की वजह से हटाया गया है। सरकार का हिस्सा रहे हरीश के कार्यकाल में भी बालोतरा जिला बनाने की मांग अधूरी ही रही है। मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी रहे हरीश राज्य व राष्ट्रीय राजनीति तक पहुंच बनाने के बावजूद बालोतरा जिला की मांग को सशक्त तरीके से नहीं उठा पाए।_
– मदन प्रजापत…इस मुद्दे पर अड़ते क्यों नहीं?
बीते दिनों मदन प्रजापत पचपदरा रिफाइनरी के कार्य सहित अन्य मामलों को लेकर अपनी ही सरकार के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी के सामने अड़ गए और उन्होंने सरकार को तल्खी के साथ कहा कि वे अब यह सहन नहीं करेंगे? मदन प्रजापत अपने राजनीतिक कॅरियर का पहला मुद्दा ही बालोतरा को जिला बनाने का लेकर सामने आए। अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है,ऐसे में इस मुद्दे पर उनका खाली हाथ रहना खुद के वादे से अलग होने की स्थिति होगा।
– पब्लिक व्यू
मेरा गांव डोळी है,यह बाड़मेर जिले का आखिरी गांव है। यहां से जोधपुर नजदीक है और बाड़मेर दूर। बालोतरा जिला बने तो सर्वाधिक खुशी डोळी गांव के लोगों को होगी। जोधपुर से रसायन का पानी डोळी में आता है। इसकी शिकायत करने बाड़मेर जाएं तो 160 किमी जाना पड़ता है। हमारी सुनवाई एक दशक से नहीं हो रही। कारण..बाड़मेर बहुत दूर है। मारवाड़ी में कहावत है…हेलो दों तोई कोनी पूगे…मेहरबोनी तो आ व्है कै बालोतरो जिलो वणै तो म्है हेलो तो पुगावों।- दिनेशकुमार डोळी_
– 1985 से मैं मांग रहा हूं
1985 में युवक के तौर पर आराबा का सरपंच बना। जोधपुर से जो भी राजनेता तब रवाना होता वह आराबा आकर रुकता। यहां चाय-पानी का इंतजाम कर हम स्वागत करते। पहली मांग ही बालोतरा को जिला बनाने की रखते। चाहे वो नेता कांग्रेस का हों या भाजपा का..हमने मांग रखने में कोई कमी नहीं रखी। डोळी-आराबा और कल्याणपुर का पूरा इलाका निहाल हो जाए,यदि बालोतरा को जिला बना दिया जाए।- उम्मेदसिंह आराबा, प्रधान कल्याणपुर_₹
