भारत एक विशाल आबादी का देश है जिस की 80% आबादी गांव में रहती है और अधिकांश आबादी किसानो की है। क्योंकि भारत पूर्णत: विकसित देश नहीं है इसलिए अधिकतर किसान पुरानी परंपरा अनुसार ही खेती कर रहे हैं। कृषि उपकरणों में थोड़ा बहुत सुधार जरूर हुआ परंतु आज भी पूरा मेकेनाइज सिस्टम नहीं बना है। अधिकतर किसान मौसम के रुख के आधार पर खेती करते हैं भाग्य साथ दें तो मौसम भी साथ देगा और भाग्य रूठ जाये तो मौसम भी बिगड़ जाएगा और फसलें नष्ट हो जाएगी। इस कारण अधिकतर किसान गरीबी रेखा पर है पूरी जिंदगी उनकी मेहनत में निकल जाती है। छोटे छोटे किसान खेती तो करते हैं पर साथ ही काम की तलाश में घर छोड़कर शहरों की ओर रुख कर लेते हैं। कुछ बड़े किसान भी हैं पर तकनीकी आधार पर विदेशों में जो खेती होती है वह हमारे यहां नही होती है। कई सरकारें कृषि सुधार को लेकर काफी कुछ विचार विमर्श करती है कुछ सुधार हुआ भी परंतु पूर्णतया सुधार आज भी नहीं है। उन्नत खेती के लिए किसानों की ट्रेनिंग भी आधी अधूरी होती है। किसानों के लिए जो सहायता आती है कई बार वह बिजोलिया के पास रह जाती है। आए दिन खाद का संकट रहता है, मजदूरी भी बढ़ गई पर फसल की आमद उतनी नहीं बड़ी। छोटे किसान के लिए असंभव है अपनी फसल बिना बिजोलिया के बेच पाए। चुनाव के समय तो मुफ्त बिजली और कर्ज माफी हो जाती है इसलिए किसान टिका हुआ है।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)