हर भारतीय धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है और ईश्वर में अति विश्वास रखता है। आज भी कई व्यक्ति अपने जीवन की धारा में रोज सुबह सबसे पहले मंदिर जाएंगे भगवान के दर्शन करेंगे पूजा करेंगे उसके बाद फिर कुछ खाएंगे पिएंगे या काम पर जाएंगे। मुस्लिम बराबर समय पर नवाज पडेगा, सिख गुरुद्वारे जाएगे और क्रिश्चियन चर्च जाएंगे। बस फर्क उन लोगों को पड़ता है जो धर्म स्थल पर जाकर सिर्फ हाथ जोड़कर चले आते हैं ईश्वर से अपने मन की बात नहीं कहते है। मन की बात कहने पर भी सावधानी रखना पड़ती है। एक व्यक्ति ऐसा है जो भगवान के जाकर कहता है कि हे ईश्वर बस दाल रोटी चलती रहे भगवान बड़ा कंफ्यूज हो जाते हैं कि मैं इसको हलवा खिलाना चाहता हूं पर यह दाल रोटी मांग रहा है तो उसको फिर जीवन भर दाल रोटी ही मिलती है। इसलिए यह ध्यान रखना जरूरी है कि हम ईश्वर से जब बातें करें तो हमें खुल कर बात करे। आप जब भी ईश्वर के पास जाएं तब बिल्कुल सज धज कर अप टू डेट होकर जाएं क्योंकि ईश्वर कुछ देता नहीं है वह यह कहता है कि तू जो सोचता है करता है उसमें मस्त रहें यही वरदान है। अतः ईश्वर के सामने सज धज कर जाऐ तो जीवन भर वैसा ही रहेंगे। फटे हाल जाएंगे तो हम फटे हाल रहेंगे। ईश्वर की आराधना प्रार्थना करने के बाद बरोबर ईश्वर से बातें करें अपने लिए अच्छे से अच्छी चीज मांगे और यह प्रार्थना भी करें कि ईश्वर मैं तो खुश रहूं पर मुझे इतना सक्षम बनाओ कि मैं औरों को भी खुश रख सकूं।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)

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