गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर बच्चे की कस्टडी दादा-दादी को दी

रिपोर्ट – अनमोल कुमार

नई दिल्ली : कोविड काल में अनाथ हुए बच्चे की कस्टडी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 5 साल के बच्चे की कस्टडी दादा-दादी को दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि दादा-दादी बच्चे की मौसी से ज्यादा देखभाल करेंगे। कोर्ट ने कहा कि दादा-दादी का बच्चे के प्रति भावनात्मक जुड़ाव मौसी से ज्यादा है। जस्टिस एमआर शाह और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा कि भारतीय समाज में दादा-दादी हमेशा बच्चे की ज्यादा अच्छी देखभाल करते हैं। बेंच ने कहा कि दादा-दादी, उसकी मौसी से ज्यादा ध्यान रख पाएंगे इसलिए इस काम के लिए वह ज्यादा योग्य हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें बच्चे कस्टडी मौसी को देने की बात कही गई थी। गौरतलब है कि बच्चे की पिता की मौत 13 मई और मां की मौत 12 मई 2021 को हो गई थी। दोनों अहमदाबाद में रहते थे। गुजरात हाई कोर्ट ने 46 साल की मौसी को बच्चे को सौंपने का फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि केवल आय के आधार पर बच्चे की कस्टडी नहीं दी जा सकती है जबकि वह अपने दादा-दादी से ज्यादा अटैच है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चे को दाहोद से अच्छी शिक्षा अहमदाबाद में मिल सकती है। गुजरात हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तर्क दिया था कि बच्चे की मौसी सरकारी नौकरी में हैं और उन्होंने शादी भी नहीं की है इसलिए वह ज्यादा अच्छी देखभाल कर सकेंगी। बच्चे की मौसी दाहोद में और दादा-दादी अहमदाबाद में रहते हैं।