

नई दिल्ली, (दिनेश शर्मा “अधिकारी “)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने “पदोन्नति” मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि एक सरकारी कर्मचारी की पदोन्नति सिर्फ़ इसलिए नहीं रोकी जा सकती क्योंकि उसपर एक आपराधिक मामला लंबित है।
जस्टिस राजीव मिश्रा की सिंगल जज बेंच ने पुलिस कांस्टेबल नीरज कुमार पांडे की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा:
न्यायालय ने पाया कि यह एक निर्विवाद तथ्य है कि आपराधिक मामले के लंबित रहने के बावजूद, याचिकाकर्ता को काम करने की अनुमति दी गई है। इसलिए, केवल एक आपराधिक मामले की पेंडेंसी, प्रथम दृष्टया, याचिकाकर्ता को पदोन्नति से इनकार करने के आधार के रूप में नहीं लिया जा सकता है। आपराधिक मामले के लंबित होने के कारण सक्षम प्राधिकारी सीलबंद कवर प्रक्रिया को अपनाने के आधार पर याचिकाकर्ता के दावे को अनिश्चित काल के लिए रोक नहीं सकता है।
रिट याचिकाकर्ता नीरज कुमार पांडे ने परमादेश की एक रिट के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसमें प्रतिवादियों को “सील कवर लिफाफा खोलने और याचिकाकर्ता को हेड कांस्टेबल के पद पर पदोन्नत करने का आदेश माँग गया था, जिस तारीख से याचिकाकर्ता को कनिष्ठों को पदोन्नत किया गया था।
याचिकाकर्ता का मामला था कि याचिकाकर्ता से कनिष्ठ, जिनके नाम रिट याचिका के पैरा 20 में उल्लिखित हैं, को हेड कांस्टेबल के पद पर पदोन्नति दी गई थी, जबकि याचिकाकर्ता का नाम चयन सूची में उल्लेख नहीं है।
याचिकाकर्ता के अनुसार एफ.आई.आर. दिनांक 23.04.2006 को धारा 147, 148, 323, 504, 427 I.P.C के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था। उपरोक्त मामले में आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया तथा दिनांक 12.06.2009 के निर्णय एवं आदेश द्वारा याचिकाकर्ता सहित आरोप-पत्रित अभियुक्तों को उनके विरुद्ध लगाए गए आरोपों से बरी कर दिया गया। अत: याचिकाकर्ता की पदोन्नति हेतु विचार की तिथि को उक्त आपराधिक प्रकरण लम्बित नहीं था।
इसके बाद एक और एफ.आई.आर. दिनांक 27.04.2007 को याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज किया गया था, जिसे धारा 420, 467 आईपीसी, पुलिस स्टेशन- नवाबाद, जिला-झांसी के तहत 2007 के केस क्राइम नंबर 471 के रूप में दर्ज किया गया था। उक्त मामले में अपराध क्रमांक 31.12.2007 का आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया है।
उपरोक्त से व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एक आवेदन के माध्यम से इस न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। वर्ष 2012 केस संख्या 26229, जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 17.08.2012 का अंतरिम आदेश पारित किया गया था।
याचिकाकर्ता के वकील कुमारी माया (महल्ला कांस्टेबल) बनाम यू.पी. राज्य और अन्य (2011) 5 एडीजे 818 कोर्ट के फैसले के पैरा 19 पर भरोसा करते हुए प्रस्तुत किया कि सीलबंद कवर प्रक्रिया का उद्देश्य विभागीय पदोन्नति समिति की सिफारिश को अनिश्चित काल के लिए स्थगित रखना नहीं है, उपरोक्त पर विचार करते हुए न्यायालय ने याचिका को सक्षम प्राधिकारी को निर्देश के साथ अनुमति दी कि वह इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करने की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर सीलबंद कवर खोलने के लिए याचिकाकर्ता के दावे पर विचार करे।