

जैसलमेर.।जिले के पोकरण. में एक ऐसी घटना शामने आई है कि आपका दिल दहल उठेगा कहते है कि व्यक्ति का दाना, पानी और मौत विधाता ने जिस जगह लिखा है, वह व्यक्ति उस जगह खींचा चला जाता है। विधाता की लिखी को कोई नहीं टाल सकता। भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जिले के पोकरण से करीब 50 किमी दूर स्थित मदासर गांव में गुरुवार को ऐसी ही घटना घटित हुई। जिसने इन पंक्तियों को साकार कर दिया। जहां 3 दिन पूर्व ही छुट्टी पर घर आए सेना की 2 राजपूताना बटालियन के सैनिक रेंवतसिंह (28) पुत्र गणपतसिंह की मौत अपनी ही सगी बहन को बचाते हुए हो गई।
गौरतलब है कि गुरुवार को दोपहर करीब साढ़े 12 बजे उसकी 12 वर्षीय बहन का पैर फिसल जाने से वह अपने खेत में बनी पानी से भरी डिग्गी में डूबने लगी। इस दौरान पास ही खड़े उसके भाई सेना के जवान रेंवतसिंह ने पानी में छलांग लगाकर अपनी बहन को तो बचा लिया, लेकिन उसका पैर डिग्गी के तल में बिछे पॉलिथिन में फंस जाने के कारण वह प्रयास के बावजूद भी बाहर नहीं निकल सका तथा मौत के आगोश में समा गया।
पटाखों की जगह गूंज रहे रुदन के स्वर:
सेना की 2 राजपूताना बटालियन में कार्यरत जवान रेंवतसिंह वर्तमान में उत्तरप्रदेश के फतेहगढ़ में तैनात था। दीपावली के त्यौहार पर वह 3 दिन पूर्व ही अपने पैतृक गांव मदासर आया था और हंसी खुशी के साथ दीपावली की तैयारियों में परिवारजनों का हाथ बंटा रहा था। घर के कामकाज करने के साथ खेत में फसल की कटाई भी चल रही थी। गुरुवार को दोपहर करीब साढ़े 12 बजे समय का पहिया ऐसा घूमा कि त्यौहार की तैयारियां धरी रह गई और जिस घर में पटाखों की गूंज सुनाई देने वाली थी, वहां अब रुदन के स्वर गूंज रहे थे।
क्या मालूम था कि इतनी जल्दी मोत हो जाएगी…
रेंवतसिंह दीपावली के त्यौहार पर छुट्टियां लेकर 3 दिन पूर्व गांव आया। उसने डिग्गी में डूब रही अपनी बहन को तो बचा लिया, लेकिन मौत तो रेंंवतसिंह को बुला रही थी। उसे क्या मालूम था कि जब वह बहन को बचाने उतरेगा तो वह वापिस बाहर नहीं आ सकेगा। जवान की मौत के समाचार से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर छा गई तथा हर किसी ने नम आंखों से श्रद्धांजलि दी।
4 भाइयों में 2 सेना में कार्यरत, 2 कर रहे तैयारी:
मदासर निवासी गणपतसिंह स्वयं किसान है तथा उनके कुल 4 पुत्र है। 4 पुत
