

नई दिल्ली,(दिनेश शर्मा “अधिकारी “)। विभिन्न अदालतों में केंद्र सरकार के अटार्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल के प्रतिनिधित्व के संबंध में पिछले कुछ वर्षों में, सरकार के शीर्ष कानून अधिकारियों को कुल एक करोड़ रुपये से अधिक की रिटेनर फीस मिली है।
यह जानकारी कानून और न्याय मंत्रालय मे एक आरटीआई के माध्यम से प्राप्त की गई थी। इसके मुताबिक केंद्र सरकार ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल को एक करोड़ रुपये से ज्यादा की रिटेनर फीस का भुगतान किया।
रिटेनर शुल्क क्या होता है…….?
रिटेनर शुल्क एक वकील की सेवाओं को प्राप्त करने के लिए भुगतान किया गया धन है, जिसके तहत वो वलील रिटेनर फ़ीस का भुगतान करने वाले की ख़िलाफ़ किसी भी कोर्ट में मुक़दमा नहीं कर सकता।
यह वकील की फीस के अतिरिक्त है। जब वह वकील केस फाइल करता है या बहस करता है, तो एक अतिरिक्त शुल्क दिया जाता है
कानून और न्याय मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत के अटॉर्नी जनरल को 2012 से सितंबर 2015 तक प्रति माह 54 हजार रुपये का रिटेनर शुल्क प्राप्त हुआ। 1 अक्टूबर 2015 को इसे बढ़ाकर 79 हजार रुपये प्रति माह कर दिया गया।
इसी तरह 2015 से पहले केंद्र सरकार सॉलिसिटर जनरल को 40 हजार रुपये प्रतिमाह का भुगतान करती थी। 2015 में इसे बढ़ाकर 60 हजार रुपये प्रति माह किया गया था।
1 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2022 तक अटॉर्नी जनरल को रिटेनर फीस में 83 लाख रुपये (83,41,000) से अधिक मिले। वहीं, सॉलिसिटर जनरल को 56 लाख (56,08,351) से अधिक मिले।
