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कांग्रेस ने आखिरकार जो कहा वो किया, 24 साल बाद कांग्रेस अध्यक्ष का पद गैर गांधी परिवार के मल्लिकार्जुन खड़गे को मिला। वो भी मनोनयन नहीं, संगठन के लोकतांत्रिक चुनाव से। शायद ही कोई दल अपने संगठन के चुनाव इस तरह कराता हो, क्षेत्रीय दल तो बिल्कुल नहीं। ये चुनाव प्रक्रिया लोकतंत्र की तरफ कांग्रेस के ठोस कदम के रूप में देखी जाये तो अनुचित भी नहीं है।
भाजपा अब तक परिवारवाद के नाम पर कांग्रेस पर हमलावर रही है और इसका उसे चुनावी फायदा भी मिला। कांग्रेस के इस परिवारवाद पर हमला करके भाजपा अपने परिवारवाद के कुछ उदाहरणों को भी छिपा रही थी। अब चुनाव में परिवारवाद का मुद्दा भाजपा के पास नहीं रहेगा, इससे उलट कांग्रेस इस मुद्दे पर अब खुलकर बोल सकेगी। खड़गे की आलोचना से अभी भाजपा बच रही है। भाजपा ने आरम्भ में उनको रिमोट से चलने वाला अध्यक्ष कहा, जिसका एससी वर्ग में रिएक्शन हुआ। भाजपा ने तुरंत ये आरोप तो बंद ही कर दिया।
ताजपोशी के दिन खड़गे ने जो पहला भाषण पार्टी दफ्तर में दिया, वो कई लोगों को साफ साफ संकेत था। उन्होंने केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया और लोकतंत्र, लोकतंत्र की संस्थाओं और संविधान को बचाने के लिए काम करने की बात कही। इस मुद्दे पर राहुल गांधी काफी समय से बोल भी रहे हैं।
खड़गे ने इसके अलावा बेरोजगारी, महंगाई पर भी केंद्र सरकार को कोसा। इनको कांग्रेस अब तक मुद्दा ही नहीं बना सकी थी। खड़गे ने संकेत दे दिया कि वे इन मुद्दों को लेकर ही चुनाव में जायेंगे। इन मुद्दों पर सक्रिय रहने का आव्हान उन्होंने पार्टी ने नेताओं व कार्यकर्ताओं से किया। जो इस बात का संकेत है कि गुजरात व हिमाचल के चुनाव में इनको मुद्दा बनाया जायेगा। साथ ही कांग्रेस अगले आम चुनाव की तैयारी में आगे के समय में इन सभी समस्याओं पर आंदोलन भी करेगी। आंदोलन के मामले में पिछड़ने के कारण ही अब तक कांग्रेस अपना विपक्षी रूप ले ही नहीं पाई थी। खड़गे जमीनी नेता है, ये उनका इतिहास है, इसलिए इसको ही वे पार्टी का हथियार बनायेंगे।
खड़गे ने पार्टी में आधे पद युवाओं यानी 50 साल से कम के लोगों को देने की बात कहकर वर्षों से पार्टी पदों पर जमे नेताओं की वापसी का भी संकेत दे दिया। अनुशासन के मामले में कमजोर हुई कांग्रेस अब खड़गे की अगुवाई में सख्त होगी, ये संकेत भी पहले भाषण में था। जब पीएम मोदी केंद्र की राजनीति में आये तो खुद को चाय बेचने वाला साधारण आदमी बताया था, उसी का जवाब देते हुए खड़गे ने खुद को मजदूर का बेटा कहा। उनका कहना था कि कांग्रेस में एक मजदूर का बेटा भी सर्वोच्च पद पर पहुंच सकता है। स्टीयरिंग कमेटी बना कांग्रेस अध्यक्ष ने साफ कर दिया कि युवाओं के लिए संगठन में रास्ते खुलेंगे। ये पार्टी में बड़ा बदलाव होगा, जिसका लाभ पार्टी को मिलेगा।
अगर खड़गे के इस पहले भाषण के बाद भी भाजपा ने उनको हल्के में लिया तो गलती होगी। क्योंकि सोनिया, राहुल तो उनके साथ खड़े ही हैं। जो अब पद से मुक्त होने के बाद अधिक शक्ति पार्टी के लिए लगा सकेंगे। हिमाचल और गुजरात के चुनाव में खड़गे की पहली परीक्षा होगी। वहीं राजस्थान के विवाद को वे कैसे हल करते हैं, ये उनके सांगठनिक कौशल को बतायेगा। आने वाला समय कांग्रेस में बदलाव का होगा, ये साफ दिखने लगा है। ये बदलाव वोट में कितना फायदा देगा, ये तो आने वाले समय में पता चलेगा।
- मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार