बीकानेर। ऑटिज्म की समस्या की शीघ्र पहचान कर बच्चे में दिखाई देने वाले लक्षणों के अनुसार इनके लिए थिरैपी निर्धारित करने की जरूरत है। यह बात रविवार को आचार्य तुलसी कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट में आयोजित सेमिनार में गुडग़ांव से आए ओटिज्म के विशेषज्ञ डॉ. मनीष समनानी ने कही।
अवसर था तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम, बीकानेर एवं हुकम गच्छीय साधुमार्गी जैन श्रावक संस्थान और मारवाड़ अस्पताल के संयुक्त तत्वावधान में ऑटिज्म एवं बच्चों के व्यवहार से संबंधित समस्याओं के निराकरण हेतु जांच एवं नि:शुल्क परामर्श शिविर था। ऑक्यूप्रेशन थिरेपी में विशेषज्ञ डॉ. समनानी ने विस्तृत सम्बोधन में वीडियो के माध्यम से ऑटिज्म प्रभावित बच्चों की समस्याओं, विभिन्न कठिनाइयों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी तथा ऐसे बच्चों की चिकित्सा के लिए थिरेपी विकसित करने के तौर-तरीके बताए। उनका यह भी कहना था कि ऑटिज्म की समस्या का उपचार थिरेपी से ही किया जा सकता है।
कार्यक्रम में जिला कलक्टर अनिल गुप्ता ने ऑटिज्म पर आयोजित सेमिनार को उपयोगी बताया तथा आयोजकों के इस प्रयास को सराहा। कार्यक्रम में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. पी.सी. खत्री, डॉ. सी.के. चाहर, डॉ. गौरव गोम्बर के अलावा मारवाड़ अस्पताल की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुचिता बोथरा ने ऑटिज्म और बच्चों के व्यवहार से संबंधित समस्याओं के बारे में विस्तार से रोशनी डाली। महापौर नारायण चौपड़ा ने भी तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम व मारवाड़ अस्पताल के इस प्रयास की सराहना की।
कार्यक्रम के सहयोगी मेघराज सेठिया के 75वें जन्मदिन के अवसर पर उनका अभिनन्दन किया गया। इससे पूर्व तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष बच्छराज कोठारी ने कार्यक्रम के बारे में बताते हुए फोरम की गतिविधियों की जानकारी दी। मारवाड़ अस्पताल की डॉ. सुचिता बोथरा ने अपने अस्पताल में ऑटिज्म प्रभावित बच्चों के लिए प्रारम्भ ‘कोशिशÓ केन्द्र के बारे में जानकारी दी। वक्ताओं ने इस प्रयास के लिए डॉ. बोथरा की सराहना की।