बीकानेर।राजस्थानी भाषा को उचित सम्मान देने तथा राजस्थान के बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रदान करने तथा राजस्थानी संस्कृति को संरक्षित करने हेतु राजस्थानी राजभाषा बनकर किस प्रकार केंद्र सरकार पर मान्यता हेतु दबाव बना सकती है पर मुख्यमंत्री स्वयं विश्लेषण कर रहे हैं और देख रहे हैं कि किस प्रकार केंद्र की आठवीं अनुसूची में शामिल ना होते हुए भी अन्य राज्यो ने कई भाषाओं को राजभाषा का दर्जा दिया है इस प्रकार के उद्गार आज राजस्थान सरकार के शिक्षामंत्री डॉ बी डी कल्ला ने राजस्थानी मोट्यार परिसद के प्रतिनिधि मंडल के समक्ष व्यक्त किये।
डॉ कल्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार को राज भाषा हेतु पत्र लिख चुके एक सो साठ विधायको तथा दस करोड़ राजस्थानियों की भावना का जरूर सम्मान करेंगे, उन्होंने पहले भी राजस्थानी भाषा हेतु सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करके केंद को भेजा था।
आज राजस्थानी मोट्यार परिसद बीकानेर के प्रतिनिधि मंडल ने डॉ कल्ला को राजस्थानी राजभाषा बनाने, व्याख्याता पदों पर भर्ती, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में राजस्थानी का स्थायी विभाग बनाने तथा केंद्र पर दबाव बनाने हेतु रणनीति संबंधी मांगों का ज्ञापन देते हुए डॉ बी डी कल्ला को इसी बजट सत्र में राजस्थानी को राजभाषा बनाने का निवेदन किया।
मोट्यार परिसद के डॉ गौरीशंकर प्रजापत और राजेश चौधरी के नेतृत्व में आज प्रतिनिधि मंडल राजभाषा हेतु मिला।
प्रतिनिधि मंडल में पूरे राजस्थान के मंत्रियों,विधायको से राजभाषा के पक्ष में पत्र लिखवाने वाले प्रशांत जैन, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में अतिथि व्याख्याता रामावतार उपाध्याय , देशनोक के मुकेश सिधायच, कांग्रेश पदाधिकारी मुकेश रामावत, बाबूलाल पडिहार, मदनदान दासौडी,भगवानाराम सहित अनेक भाषा हेताळु शामिल थे।