जोधपुर, । मोटा मुनाफा और निवेश के नाम पर लोगों से ठगी करने वाली सोसायटी संजीवनी के खिलाफ चार और प्रकरण सरदारपुरा थाने में दर्ज हुए है। इससे पहले इसी थाने में आधा दर्जन केस दर्ज किए जा चुके है।
सरदारपुरा पुलिस ने बताया कि चौथी बी रोड सरदारपुरा निवासी गोपाल शर्मा पुत्र नंदलाल शर्मा और कनोजिया भवन 11 वीं ई रोड निवासी ओमप्रकाश पुत्र श्यामलाल कनोजिया ने रिपोर्ट दी कि उन्होंने संजीवनी कॉ ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के नसरानी सिनेमा के पास स्थित शाखा में निवेेश किया । लेकिन सोसायटी ने उनका पैसा वापस नहीं लौटाया। इसी प्रकार बलदेव नगर शिव मंदिर के पास रहने वाली सावित्री सोनी पत्नी रूपाराम सोनी ने और आमली का बास बालाजी मंदिर के पास रहने वाली रेनू सोनी पत्नी तुलसीराम सोनी ने भी अलग अलग प्रकरण सरदारपुरा थाने में दर्ज करवाए है। इससे पहले कल एक साथ करीब एक दर्जन मामले दर्ज कराए गए थे।
-क्या है संजीवनी घोटाला
संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी को राजस्थान सोसाइटी एक्ट के तहत 2008 में रजिस्टर्ड कराया गया था. इसके बाद 2010 में ये सासाइटी मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में बदल गई ।इस सोसाइटी के पहले मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम सिंह थे, जो घोटाले की जांच में प्रमुख नाम भी हैं। विक्रम सिंह को ही इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड माना जाता है, जिनकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है। संजीवनी पीड़ित संघ का दावा है कि कोऑपरेटिव सोसाइटी में लोगों ने भारी रकम निवेश की थी, लेकिन उन्हें पैसा वापस नहीं किया गया और उसका गलत तरीके से गबन कर लिया गया।
इधर यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में तब आया जब पीड़ितों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर अपना पैसा दिलाने की मांग की।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जोधपुर दौरे के समय पीड़ितों के एक शिष्टमंडल से मुलाकात की तथा मदद की गुहार लगाई। राज्य के विभिन्न जिलों से आए पीड़ितों ने मुख्यमंत्री को करोड़ों रुपये की ठगी के साथ-साथ अपनी बिगड़ती आर्थिक स्थिति से अवगत कराया। पीड़ित इस मामले में केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की भी भूमिका बता रहे हैं।मुख्यमंत्री गहलोत ने पीड़ितों को भरोसा दिलाया और कहा कि उनकी सरकार पीड़ितों की जमा राशि को वापस दिलाने का हर संभव प्रयास करेगी।
इसके बाद से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर रहे हैं। इससे लोगों को आश जगी कि उनकी मेहनत की कमाई अब वापस मिल जाएगी। यही कारण है कि जो पीड़ित अब तक चुप बैठ थे, वे भी आगे आकर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने लगे हैं।
इधर मुख्यमंत्री ने शेखावत को लेकर बयान बाजी शुरू कर दी। इसका परिणाम यह हुआ कि सीएम अशोक गहलोत और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत आमने-सामने आ गए हैं। गहलोत जहां इस घोटाले में गजेंद्र सिंह शेखावत के शामिल होने की बात कर रहे हैं तो वहीं शेखावत सीएम के खिलाफ कोर्ट पहुंच गए । इसके बाद भी गहलोत इस मामले को लेकर जोधपुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाते रहे हैं। गहलोत ने शेखावत को चेलैंज करते हुए खहा कि यदि आप बेकसूर हैं तो गरीबों का पैसा दिलाने के लिए आगे क्यों नहीं आते?
वहीं शेखावत, गहलोत को चेलैंज करते हुए कह रहे हैं कि अगर आरोप सहीं हैं तो साबित करिए।अपने खिलाफ लग रहे आरोपों के बाद गजेंद्र सिंह शेखावत ने गत शनिवार को दिल्ली की एक अदालत में एक शिकायत भी दर्ज कराई थी। अपनी शिकायत में उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत पर आरोप लगाया था कि संजीवनी घोटाले से नाम जोड़कर उन्हें बदनाम किया जा रहा है।
दूसरी तरफ राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर खंडपीठ ने यूनियन ऑफ इंडिया समेत सभी 17 पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। नोटिस पाने वालों में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनकी पत्नी नोनंद कंवर का नाम भी शामिल है। हाई कोर्ट ने ये नोटिस संजीवनी पीड़ित संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किए हैं।
राजस्थान हाई कोर्ट में दायर याचिका में बताया गया है कि संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी ने लोगों से भारी निवेश कराया,।निवेशकों को फर्जी रिकॉर्ड पोस्टर दिखा कर धोखे में रखा गया। ये पूरा घोटाला करीब 900 करोड़ का बताया जा रहा है।