-निलंबित आईएएस गिरधर और आईपीएस सुशील कुमार बिश्नोई को गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही पुलिस
-क्या होटल मालिक पर दबाव देकर राजीनामा करने की कोशिशों में है पुलिस


जयपुर, (हरीश गुप्ता)….राजस्थान पुलिस की जय हो! वह दिन दूर नहीं जब राजस्थान पुलिस यूपी बिहार से गुंडागर्दी में आगे निकल जाए। जयपुर पुलिस ने तो गैंगस्टर लॉरेंस को भी शांत कर दिया था, लेकिन यहां तो पुलिस वाले ही ‘लॉरेंस’ का रोल कर रहे हैं। वर्दी को देख आईएएस के भी खून की रफ्तार 100 की स्पीड से दौड़ पड़ी। दोनों महानों को ओलंपिक में दौड़ में क्यों नहीं भेज देती सरकार।
फिल्मों में तो फाइटिंग कैमरे का खेल होता है, वीडियो फुटेज देखने के बाद हर कोई चर्चा कर रहा है कि दोनों बड़े खिलाड़ी हैं। दोनों को पाकिस्तान की सीमा पर तैनात कर देना चाहिए। भारतीय सेना के जवानों की हौसला अफजाई होगी। एक खिलाड़ी तो और भी गजब है। पहले दो बार रेप के आरोप लग चुके हैं। बाद में एफआर लग गई। अब अगर फुटेज आने के बाद मामला रफा-दफा हो जाता है, तो पहले की एफआर पर भी उंगलियां उठने लगेगी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक होटल मालिक पर हर तरफ से दबाव बनाया जा रहा है। दबाव उनकी ओर से दी गई एक एफआईआर को वापस लेने के लिए। अगर रिपोर्ट वापस ले ली जाती है तो यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि पहले वाले मामले में एफआर क्यों लगी। सवाल यह भी खड़ा होता है कि पहले से दागी अफसर को फील्ड पोस्ट क्यों दी गई? जैसे किसी बैंक कर्मचारी का चेक रिटर्न हो जाता है, तो उसे सस्पेंड कर दिया जाता है। ऐसे ही पुलिस अधिकारी पर अपराध का आरोप भी लग जाए तो कम से कम फील्ड पोस्टिंग तो नहीं मिलनी चाहिए।
फिलहाल मामले की जांच एडीजी (विजिलेंस) बीजू जॉर्ज जोसफ कर रहे हैं। जोसफ सुलझे हुए अधिकारी हैं। उनसे पूरी उम्मीद है तांडव मचाने वालों पर तथा उनका साथ देने वाले गेगल थाने के स्टाफ पर (मारपीट में शामिल होने वाले) भी कड़ी कार्रवाई करे। सवाल यह भी खड़ा होता है कि अजमेर एसपी ने पुलिस पर हमला होने का मैसेज क्यों दिया? उनकी भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। ऐसा होने से सरकारी महकमों में और आमजन में अच्छा मैसेज जाएगा। दबाव में आकर अगर होटल मालिक कार्रवाई नहीं चाहता, तो फुटेज के आधार पर सभी के खिलाफ पुलिस संज्ञान लेकर विभागीय कार्रवाई तो अच्छा सबक होगा आरोपियों के लिए।