

बीकानेर, । पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई। तब जगन्नाथ और बलभद्र अपनी लाडली बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने निकल पड़े। इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी गए और यहां सात दिन ठहरे, तभी से जगन्नाथ यात्रा निकालने की परंपरा चली आ रही है। नारद पुराण और ब्रह्म पुराण में भी इसका जिक्र है। मान्यताओं के मुताबिक, मौसी के घर पर भाई-बहन के साथ भगवान खूब पकवान खाते हैं और फिर वह बीमार पड़ जाते पड़ जाते हैं। उसके बाद उनका इलाज किया जाता है और फिर स्वस्थ होने के बाद ही लोगों को दर्शन देते हैं।
ओडिसा में हर साल तीन विशाल रथों में भगवान कृष्ण, बलराम और सुभद्रा की मूर्तियों के साथ एक भव्य जुलूस निकाला जाता है। विशाल रथों को जनकपुर से जगन्नाथ पुरी में स्थित मंदिर तक भक्तों द्वारा खींचा जाता है।
ठीक उसी प्रकार छोटी काशी बीकानेर में भी भगवान जगन्नाथ मंदिर, पुरानी जेल रोड से ये रथ यात्रा प्रारम्भ होकर शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए रतन बिहारी पार्क स्थित राजरतन और रसिक बिहारी के मंदिर तक निकाली जाती है। बरसों से चली आ रही परंपरा के अनुसार बीकानेर में भगवान् जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई।
भगवान जगन्नाथ मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष घनश्याम लखाणी ने बताया कि आज जगन्नाथ जी पर इंद्र देवता भी मेहरबान हुए। जैसे ही जगन्नाथ जी रथ मे विराजमान हुए इंद्र देवता ने भगवान जगन्नाथ जी का बरसात की बूंदों से स्वागत किया। स्थानीय पुलिस प्रशासन के सहयोग से रथयात्रा शांति पूर्वक और सोहार्दमय वातावरण में निकाली गई। जिस से एकबारगी पूरा शहर भक्तिमय हो गया। इस रथयात्रा मे
सरजूदास जी महाराज , अवधेश जी महाराज, खमारामजी महाराज, अनिलझूमर सा सोनी , हेतराम गौड़, अशोक मोदी, सुरेंद्र पटवा, वेदव्यास, किसन मूंदड़ा (मूंदड़ा ट्रस्ट के संस्थापक), पीयूष सिंघवी, बजरंग तंवर, डीपी पचिसिया, अनंतवीर जैन, जुगल राठी, अविनाश जोशी, महेंद्र अग्रवाल, राजेंद्र डिडवानिया, रमेश अग्रवाल (कालू बड़ी), कर्मचारी नेता भंवर पुरोहित सहित अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए।
