साधना के रास्ते, आत्मा के वास्ते, चल रे राही चल, चल रे राही चल…

बीकानेर। श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. की आज्ञानुवर्ती शिष्या मरुधर सिंहनी गरुणी मैया श्री नानू कंवर जी म.सा. की सुशिष्या शासन प्रभाविका तपस्विनी विदुषी महासती श्री पुष्पावती जी म.सा. आदि ठाणा-४ का बागडिय़ों का मोहल्ला स्थित सेठ धनराज ढ़ढ्ढा की कोटड़ी में चातुर्मास चल रहा हैं। शनिवार को आदि ठाणा-४ की विदुषी महासती श्री साधना जी म.सा. ने अपने प्रवचन में कहा कि ऋषभदेव भगवान जब मोक्ष में पधारे तब उनके साथ १०८ आत्माओं ने भी एक समय में, एक साथ मोक्ष में प्रवेश किया। ऐसा बहुत कम घटित होता है, जब एक साथ इतनी आत्माएं एक निश्चित समय में मोक्ष को प्राप्त होती है। आप किसी के भी प्रति अपने मन में मलीनता मत रखो। यह ध्यान में रखो कि मुझे वीतरागी बनना है। साधना जी म.सा. ने कहा कि बंधुओ, दुनिया में कोई गाय ऐसी नहीं है, जो अपने आप दूध देती है। दूहना पड़ता है। ठीक उसी प्रकार शरीर से सार निकालता है, आपको निकालना पड़ेगा।। आप मन में मलीनता मत रखो, अन्य कहीं पर पाप करते हो तो धर्म स्थान में उसका शुद्धीकरण हो सकता है। लेकिन धर्म स्थल में मन में गांठ पाले हो, पाप पाले हो तो फिर शुद्धी कहां पर होगी…?, इसलिए मन में मलीनता मत रखो। आज मुझे श्रावकों के मन में मलीनता लगती है, यह ध्यान रखना कमाई काम नहीं आएगी, सामायिक काम आएगी, प्रतिक्रमण करो, टेढ़ापन मत रखो, मन को साफ रखो। महासती श्री पुष्पावती जी म.सा ने गीतिका ‘साधना के रास्ते, आत्मा के वास्ते, चल रे राही चल, चल रे राही चल और चेतना गीत ‘कितनी बार जगाया मन को, फिर-फिर ये सो जाता है, जग की अंधियारी गलियों में फिर-फिर खो जाता है। सुनाकर सामायिक और धर्म-ध्यान में मन लगाने की बात के साथ ही श्रावक-श्राविकाओं से प्रत्याख्यान करवाए। विनोद सेठिया ने बताया कि रविवार को नवकार मंत्र की प्रतियोगिता आयोजित होगी।