

मणिपुर के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और हिंसा, आगजनी की घटनाएं रुक ही नहीं रही। तीन महीने से परेशानी में फंसे मणिपुर पर केंद्र सरकार की तरफ से सदन में पीएम का बयान नहीं हुआ। इसी कारण दोनों सदनों में किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं हो पा रही है। विपक्ष को मत विभाजन के नियम पर बहस चाहिए और सरकार को ये मंजूर नहीं। इस टकराहट के चलते ही विपक्ष को सदन में अविश्वास प्रस्ताव देना पड़ा, जो मंजूर हो गया। अब इस प्रस्ताव के माध्यम से विपक्ष भी अपनी बात कहेगा और पीएम को जवाब भी देना पड़ेगा।
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भी विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ने गहरी राजनीति की। किसी वरिष्ठ सदस्य के बजाय कांग्रेस के युवा सांसद गोगोई ने ये प्रस्ताव पेश किया जो पूर्वोत्तर से ही सांसद है। इस प्रस्ताव के समर्थन में आकर तेलंगाना के सांसद ने नये राजनीतिक समीकरण के संकेत भी दे दिए। केसीआर इंडिया के हिस्सा नहीं बने थे मगर अब अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करके भाजपा को सकते में डाल दिया है। दक्षिण में कमजोर भाजपा के लिए ये बड़ा झटका है। अब 25 दल मणिपुर के विषय पर लोकसभा में केंद्र सरकार को घेरेंगे।
लोकसभा अध्यक्ष ने हालांकि अभी अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख तय नहीं की है, मगर विपक्ष अभी से तैयारी में लग गया है। विपक्षी दलों ने एक बैठक कर मणिपुर पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। क्योंकि उनको मालूम है कि सदन में भाजपा के पास बहुमत है, प्रस्ताव पारित होगा नहीं। इसलिए इसके जरिये सरकार को मणिपुर को केंद्र में रखकर महंगाई सहित अन्य मुद्दों पर घेरा जा सके। इसी तैयारी के तहत कल इंडिया गठबंधन के दलों का एक संसदीय दल मणिपुर पहुंचा। सरकार यदि उसे जाने से रोकती तो सदन व सड़क पर इंडिया को लड़ने का मुद्दा मिलता। सरकार ने दल को रोका नहीं। ये दल मणिपुर पहुंचा और सीधे राहत कैम्प पहुंच गया। पीड़ितों से मिला और राहत की व्यवस्थाएं देखकर नाराजगी जताई। ये दल वहां के नागरिकों से भी मिल रहा है। जाहिर है, अब मणिपुर पर सदन में जमकर बोला जायेगा। सरकार ही बैकफुट पर नजर आयेगी। पहले राहुल गांधी भी मणिपुर का दौरा कर चुके हैं।
राहुल के दौरे के बाद से सड़कों पर कांग्रेस मणिपुर के मुद्दे पर पहले से ही हमलावर है। पार्टी ने पूरे देश में प्रदर्शन कर सरकार व पीएम को विफल बताया है। अब भी कांग्रेस ही विपक्ष की इस मामले में अगुवाई कर रहा है। राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे कमान संभाले हुए हैं और सदन में कुछ भी काम से पहले मणिपुर पर पीएम का बयान मांग रहे हैं।
मणिपुर पर यदि पीएम पहले ही सदन में बयान दे देते तो शायद मामला इतना बढ़ता नहीं। सदन भी चलता और जन धन की हानि नहीं होती। मणिपुर की समस्या राष्ट्र की समस्या है, सरकार को सभी दलों से सहयोग लेकर हल के रास्ते तलाशने चाहिए थे। मगर टकराहट के कारण विपक्ष को सरकार पर हमलावर होने का अवसर मिल गया। इंडिया गठबंधन अब मणिपुर पर सरकार को घेरेगा और 2024 के चुनाव की बिसात बिछायेगा। इस बार सदन में अविश्वास प्रस्ताव तो पारित नहीं होगा, मगर सरकार पर तीखा हमला जरूर होगा।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार