

एक समय में हरियाणा की राजनीति अपने अजूबों के कारण पूरे देश की चर्चा में रहती थी, अब महाराष्ट्र ने हरियाणा का स्थान ले लिया है। बड़े फेरबदल के तहत पहले तो शिव सेना टूटी और कुछ समय पहले शरद पंवार की एनसीपी भी टूट गई। धड़ल्ले से शिव सेना और एनसीपी के विधायकों ने सत्ता में शामिल होने के लिए अपनी पार्टी को छोड़ दिया। मगर इस टूट के बाद भी वहां राजनीति में अदला बदली का खेल खत्म नहीं हुआ है, अब भी जारी है। कांग्रेस सतर्क हो गई है मगर फिर भी उस पर प्रयास जारी है। इस टूट की वजह भाजपा है और उसकी नजर 2024 के आम चुनाव पर है। अब तो ये पूरी तरह से स्पष्ट है।
मगर अगले आम चुनाव व टूट पर हुए सर्वे के नतीजों से भाजपा परेशानी में है। उसे अब भी समझ नहीं आ रहा कि क्षेत्रीय दलों को तोड़ने से उसे लाभ मिला या हानि। पहला सर्वे एनसीपी की टूट पर हुआ। जिसमें ये जानने की कोशिश की गई कि शरद पंवार वाली और अजीत पंवार वाली में से कौनसी एनसीपी असली है। सर्वे के नतीजे चकित करने वाले थे। 60 फीसदी से अधिक लोगों का कहना था कि शरद पंवार की एनसीपी ही असली एनसीपी है। लोगों ने खुलकर कहा कि विधायक भले ही अजीत पंवार के साथ गये हों, जनता अब भी शरद पंवार के साथ है। भाजपा को ये बड़ा झटका है, क्योंकि उसने तो सोचा था कि विधायकों के साथ आने से उनको लोकसभा में फायदा होगा। मगर ये सर्वे तो कुछ अलग ही ईशारा कर रहे हैं, जिससे चिंता स्वाभाविक है।
हाल ही में सी वोटर्स व निजी चैनल का एक सर्वे आया है जो भाजपा के लिहाज से अच्छा नहीं माना जा सकता। इस सर्वे के मुताबिक भाजपा व उसके सहयोगी दलों के बराबर महाअगाडी गठबंधन को लोकसभा में सीटें मिल रही है। अजीत पंवार व शिंदे के साथ आने का कोई फायदा नहीं मिल रहा, घाटा हो रहा है। क्योंकि टूटकर आये इन दोनों दलों को अधिक सीटें मिल ही नहीं रही है और न वे भाजपा को फायदा पहुंचा रहे हैं। इस सर्वे के बाद भाजपा को महाराष्ट्र के लिए आम चुनाव को लेकर फिर से नई रणनीति बनानी पड़ रही है। शरद पंवार को लुभाना, कांग्रेस को तोड़ना आदि के कयास राजनीतिक क्षेत्र में लगाये जा रहे हैं।
महाराष्ट्र में दोनों क्षेत्रीय दलों को तोड़ने के लिए भाजपा को अपने ही लोगों को नाराज करना पड़ा है। क्योंकि अधिकतर मंत्री पद शिंदे व अजीत पंवार गुट के पास चले गए हैं, जिससे भाजपा विधायकों में असंतोष है, उसका असर थोड़ा थोड़ा अब नजर भी आने लगा है। उससे भी भाजपा को घाटा ही उठाना पड़ेगा। कुल मिलाकर महाराष्ट्र की उठापटक अभी रुकी नहीं है, उसमें अब भी कई चकित कर देने वाले निर्णय देखने को मिल सकते हैं। इंडिया महागठबंधन बनने के बाद राज्य में महाअगाडी भी मजबूत हुआ है, जो सर्वे में साफ दिख रहा है।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार
