-अकेले कोटा में 1 साल में 19 छात्रों ने की आत्महत्या*
– सरकार जांच करवाएं, दोषी संस्थानों की हो मान्यता रद्द, बाल आयोग कहा लापता है


जयपुर। प्रदेश में बेहतर शिक्षा व्यवस्था हो इसको लेकर सरकार ने निजी संस्थानों को स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थानों को जरूरी शर्तों के साथ चलाने की अनुमति दी हुई है किंतु विगत एक वर्षो से लगातार निजी शिक्षा संस्थानों की शिकायतें सामने नजर आ रही है लेकिन शिकायतों के बावजूद सरकार और प्रशासन की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। यही कारण है की पिछले एक वर्ष में अकेले कोटा शहर जो शिक्षा नगरी के नाम से जाना जाता है जहां से देश के सर्वोच्च सदन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला सांसद है में ही निजी कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले 19 से अधिक विद्यार्थियों ने संस्थानों के द्वारा दिए जा रहे मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या करने की शिक्षा को ग्रहण कर लिया है। हालांकि ऐसे मामले प्रदेश के अन्य जिलों में भी सामने आए है और इन एक वर्षो में 40 से अधिक विद्यार्थियों ने कोचिंग संस्थानों की मनमानियों का शिकार होकर आत्महत्या कर ली है किंतु राज्य की सरकार और प्रशासन अभी तक हाथ पर हाथ धरे बैठा है, शिकायतों के बावजूद आजतक किसी भी दोषी संस्थान पर कोई कार्यवाही नहीं की है। ऐसी स्थिति में राज्य बाल आयोग भी सवालों के घेरे में नजर आता है, वैसे तो बाल आयोग विद्यार्थियों के संरक्षण की बात करता है किंतु आजतक बाल आयोग से किसी भी विद्यार्थियों को न्याय तक नहीं मिला है, प्रदेश में विद्यार्थी क्यों आत्महत्या कर रहे है उस तक जांच बाल आयोग द्वारा ना की जा रही है और ना ही राज्य सरकार को सिफारिस भेजी गई है।
संयुक्त अभिभावक संघ जो की विद्यार्थियों और अभिभावकों के संरक्षण के साथ – साथ संपूर्ण शिक्षा में सुधार की मांग को लेकर कार्यरत अभिभावकों का बड़ा समूह है ने भी कोटा में गुरुवार 19 वें विद्यार्थी द्वारा की गई आत्महत्या पर शोक व्यक्त करते हुए राज्य सरकार और प्रशासन की कड़ी निन्दा करते हुए कहा की ” प्रदेश में शिक्षा की बेहद लचर व्यवस्था, सरकार और प्रशासन की लापरवाहियों का शिकार विद्यार्थियों को होना पड़ रहा है, जिसका निजी कोचिंग संस्थान ना केवल फायदा मुनाफा उठा रहे है बल्कि परिवारों को तोड़ने और विद्यार्थियों का भविष्य शुरू होने से पहले खत्म करने की व्यवस्था बनाएं हुए बैठे है।
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की राज्य सरकार एक तरफ करोड़ों के झूठे विज्ञापनों का प्रकासन करवा बेहतर शिक्षा व्यवस्था के दावे कर रहे है और दूसरी तरह कोचिंग संस्थानों के मानसिक दबाव में आकर बच्चे आत्महत्या कर रहे है, सरकारी और निजी स्कूलों में बच्चियों के साथ बलात्कार हो रहे है, स्कूलों के बाहर बच्चों को खुलेआम किडनैप किया जा रहा है, कॉलेजों को राजनीति का अखाड़ा बना दिया गया है जो राज्य की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहे है। संयुक्त अभिभावक संघ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग करता है की वह प्रदेश के कोचिंग संस्थानों के विद्यार्थियों द्वारा की जा रही आत्महत्या की निष्पक्ष जांच कमेटी गठित कर कार्यवाही सुनिश्चित करें, स्कूलों में बच्चियों के साथ हो रही बलात्कार की घटनाओं के दोषियों की आजीवन पहचान नष्ट कर उन्हें कठोर कारावास की सजा दिलवाएं और कॉलेजों को राजनीति का अखाड़ा बनने से रोक जिससे प्रत्येक विद्यार्थी बेहतर शिक्षा व्यवस्था को लेकर देश के विकास में अपना योगदान दे सके।
