जयपुर(हरीश गुप्ता)। जैसे बिल्ली को दूध की रखवाली सुनना अजीब लगता है, वैसे ही चोर को खजांची बनाना। मगर राजस्थान विश्वविद्यालय में कुछ ऐसा ही हुआ है जो इन दोनों ही मुहावरों से भारी है। दरअसल यहां पेपर सेटिंग और परीक्षा के मूल्यांकन के काम में ऐसे व्यक्ति को लगा दिया गया है, जो पूर्व में पेपर लीक और पेपर बेचने के आरोप में गिरफ्तार हो चुका। वह अलग बात है कि निचली अदालत ने बरी कर दिया।
सूत्रों ने बताया कि एबीएसटी विभाग के शिक्षक डॉ अशोक अग्रवाल को राजस्थान विश्वविद्यालय कुलपति राजीव जैन ने विभाग के अध्ययन मंडल में शामिल कर लिया। अध्ययन मंडल का काम परीक्षकों की पेपर सेटिंग एवं परीक्षा के मूल्यांकन के लिए शिक्षकों की नियुक्ति का होता है। डॉक्टर अशोक अग्रवाल वही है जिन्हें 2017 में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने पेपर लीक व पेपर बचने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
सूत्रों की मानें तो एसओजी ने एफआइआर नंबर 14/ 2017 दर्ज की थी, जिसमें डॉक्टर अग्रवाल के साथ अन्य व्यक्ति भी गिरोह में शामिल बताए थे। बाद में उनकी बहाली के लिए प्रोफेसर सोहनलाल शर्मा के संयोजन में एक समिति का गठन किया गया। समिति की रिपोर्ट पर उन्हें बहाल कर दिया गया। समिति से अपनी रिपोर्ट में चूक हो गई और बहाल करने की सिफारिश में ‘प्रशासनिक एवं परीक्षा कार्य से वंचित रखने’ का वाक्य लिखना भूल गए।
कोर्ट ने किया था बरी:

पेपर लीक में गिरफ्तार किए जाने के बाद एसओजी ने चालान पेश किया। बाद में कोर्ट ने डॉक्टर अशोक अग्रवाल को बरी कर दिया। शिक्षक-गुरु इतना सम्माननीय व पूजनीय शब्द है, कोर्ट ने भी माना यह सही है। बड़ा सवाल खड़ा होता है एक सम्माननीय गुरु को एसओजी पुलिस ने जेल भिजवा दिया तो बरी होने के बाद डॉक्टर अग्रवाल ने एसओजी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा क्यों नहीं कराया?
केस के बाद भी प्रमोशन:

सूत्रों ने बताया कि गत वर्ष सितंबर माह में विश्वविद्यालय में करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत शिक्षकों की पदोन्नति की गई। जिसमें आपराधिक शिक्षकों को भी पदोन्नति कर दिया गया। जिसमें डॉक्टर अग्रवाल समेत पांच शिक्षक थे। जबकि केस पेंडिंग होने तक लिफाफे अलग से बंद कर लिए जाते हैं। ऐसा ही 2013 में तत्कालीन कुलपति मधुकर गुप्ता ने किया था।
कुलाधिपति तक हो चुकी शिकायत:

डॉ अशोक अग्रवाल के मामले में विश्वविद्यालय के एबीएसटी विभाग के प्रोफेसर एवं इंडियन अकाउंटिंग संगठन के ज्वाइंट सेक्रेटरी डॉक्टर प्रकाश शर्मा ने कुलपति कलराज मिश्र को भी शिकायत भेजी थी। शिकायत में उन्होंने डॉक्टर अग्रवाल समेत आपराधिक प्रवृत्ति वाले शिक्षकों को महत्वपूर्ण कार्य से वंचित रखने एवं जो सेवानिवृत हो गए हैं, उनकी पेंशन का निस्तारण करने का आग्रह किया है।