बीकानेर.(हेम शर्मा )। भाजपा में विद इन पार्टी प्रेशर टेक्टीस हर स्तर पर शुरु हो गई है। जैसा कि ऊपरी लेवल पर केंद्रीय नेताओं और वसुंधरा राजे के बीच चल रही है। वैसा परिदृश्य विधानसभा स्तर पर भी देखने को मिला रहा है। भाजपा की केंद्र में भारी बहुमत से सत्ता में आने के बाद यह नई तस्वीर है।
बीकानेर जिले में विधानसभा की सात सीटों में केवल श्रीडूंगरगढ़ में ही पार्टी के भीतर खाने राजनीतिक ड्रामा नहीं हो रहा है, बल्कि नोखा में बिहारी की जगह कन्हैया लाल सियाग को टिकट दिलाने की केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भरसक प्रयास कर रहे हैं। सियाग ने मेघवाल को अपनी ताकत दिखाने के लिए नोखा में उनका सम्मान करने के बहाने बड़ी सभा कर वोटों की भीड़ दिखाई। बीकानेर पूर्व से तीन बार की विजेता सिद्धि कुमारी के खिलाफ पार्टी के भीतर उनके खिलाफ निष्क्रिय होना बताकर टिकट काटने के प्रयास चल रहे हैं ऐसा करने वाले पार्टी के ही बड़े नेता है जो जग जाहिर है। वे यहां से अन्यों को टिकट दिलाने का आश्वासन दे चुके हैं। यहां महावीर रांका को लेकर अलग ही कयास चल रहे हैं। लोगों की जुबान पर टिकट की कीमत भी है। जो भाजपा को कहा शोभा देती है। बीकानेर पश्चिम में जेठानंद व्यास, गोकुल जोशी समेत कई नाम चर्चा में है। श्रीकोलायत में अब देवी सिंह भाटी अकेले माने जाते हैं। चम्पा लाल गेदर और अन्य दावेदार फीके पड़ गए हैं। खाजूवाला से केंद्रीय नेतृत्व की योजना के तहत अगर अर्जुन राम मेघवाल को गोविंद मेघवाल के सामने टिकट दिया जाता है तो भाटी से सुलह के बाद अर्जुन राम गोविंद को मात दे सकता है। खाजूवाला भाटी के प्रभाव वाला क्षेत्र है। लूणकरणसर में सुमित गोदारा की दावेदारी को प्रभु लाल सारस्वत चेलेंज कर रहा है।
जहां श्रीडूंगरगढ में भाजपा प्रत्याशी की घोषणा हो चुकी है भाजपा में ही प्रत्याशी का सर्वाधिक विरोध है। विरोध में पूर्व विधायक किशनाराम नाई ने अपने समर्थकों की बैठक भी बुला ली। खुद नहीं आए पर तारा चंद के खिलाफ जनता में संदेश छोड़ दिया। अब उनको टिकट मिलने के बाद भी पार्टी के लोगों को जवाब देना पड़ता है और विरोध का सामना भी। माना जा रहा है कि भाजपा में हाल ही में लोटे किशनाराम नाई अपने पोते आशीष को चुनाव लड़वाने की व्यूह रचना में लगे है। इसी योजना के तहत समर्थकों की बैठक बुलाई गई। इसमें उसे निर्दलीय लड़े जाने पर चर्चा होना बताया जा रहा है। किशना राम समर्थक कार्यकर्ता उत्साहित है और निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। वहीं अर्जुनराम मेघवाल समर्थक चुप्पी साधे हुए हैं। भाजपा में यह नया लोकतांत्रिक विकास है जो विरोध के स्वर में उभरता जा रहा है।